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…तब कोरोना ले बढ़ा ओमप्रकाश आर्य को

गाजीपुर। डीएम ओमप्रकाश आर्य के तबादले को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक हलके में अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं। लेकिन कमोवेश सबका यही निष्कर्ष है कि तबादले के पीछे कोरोना है।

ग्राम पंचायतों के लिए कोरोना किट की खरीदारी में हुए कथित घोटाले से श्री आर्य के तबादले को जोड़ा जा रहा है। इस निष्कर्ष को तबादले की कार्रवाई से बल भी लग रहा है। एक तो गाजीपुर, सुल्तानपुर सहित जिस जिले में कोरोना किट की खरीद में गड़बड़ी की शिकायत मिली। वहां के डीएम हटाए गए हैं। इतना ही नहीं उन्हें कहीं नई तैनाती देने के बजाए वेटिंग में डाल दिया गया है। ओमप्रकाश आर्य भी इसी कतार में शामिल हैं।

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ओमप्रकाश आर्य गाजीपुर के डीएम पद पर नियुक्ति पिछले साल मध्य अक्टूबर में हुई थी। इनके करीब 11 माह के कार्यकाल को देखा जाए तो कोई खास उपलब्धि नहीं मिलती। हालांकि उनके शुरुआती पांच माह को छोड़ दिया जाए तो उसके बाद के महीने कोरोना के ही भेट चढ़े रहे। बल्कि मार्च के आखिरी हफ्ते से लॉकडाउन का ही सिलसिला शुरू हो गया। यह क्रम जुलाई तक चला। उसके बाद अनलॉक का क्रम शुरू हुआ। यह हालात बेशक चुनौतीपूर्ण रहे और बहैसियत डीएम ओमप्रकाश आर्य इन चुनौतियों से जूझते रहे लेकिन यह काल उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठने का कारण भी बनने लगा। कोरोना किट की खरीद में गड़बड़ी की बात तो मुख्यमंत्री तक पहुंच गई लेकिन दान राशि लेने की बात यहीं तक रह गई। जनप्रतिनिधि, व्यापारी, शिक्षा व समाजसेवी संस्थाएं सराकर की अपील पर दान देने के लिए स्वत: आगे आईं। उनमे ज्यादातर डीएम तक पहुंच कर उन्हें दानराशि के चेक सौंपते रहे। बल्कि उन दाताओं की कोशिश और इच्छा यही रही कि  डीएम को चेक देते वक्त की फोटो मीडिया में आए या फिर खुद वह उस फोटो को सोशल मीडिया पर पोस्ट करें। मजे की बात कि मौके पर ज्यादातर दाताओं से प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री राहत कोष की जगह कचहरी स्थित बड़ी फर्म एके ट्रेडर्स के नाम दानराशि के चेक काटने को कहा जाता। एक-दो मौके पर मौजूद मीडिया कर्मियों ने सवाल उठाया तो श्री आर्य ने यह कह कर उन्हें शांत कर दिया कि वह ट्रेडर्स कोरोना में जरूरी सामग्री की आपूर्ति करता है। लिहाजा उस दानराशि से उसका भुगतान हो जाएगा। अपने उस कथन में वह यह भी जोड़ देते कि संबंधित ट्रेडर्स को भुगतान के लिए शासन से बजट आने में विलंब होगा और इस संकट काल में जरूरी सामग्री की आपूर्ति बहाल रखने की मजबूरी है। संभव है कि उस दानराशि का कोई लेखा-जोखा सरकार तक नहीं पहुंचा। एके ट्रेडर्स के लिए ओमप्रकाश आर्य की कृपा का आलम यह था कि लॉकडाउन में शहर सहित गाजीपुर के सभी बाजार बंद रहते लेकिन एके ट्रेडर्स खुला रहता। आम ग्राहकों की भी वहां आवाजाही लगी रहती। यह इत्तेफाक था या एके ट्रेडर्स पर विशेष कृपा की बात सार्वजनिक न होने देने की कोशिश कि कोरोना अपडेट की ब्रिफिंग देने के लिए बुलाए गए मीडिया कर्मियों को भी एके ट्रेडर्स से ही भेजी गई राहत सामग्री के किट उन्हें बतौर गिफ्ट दिए गए।

चर्चा है कि दानराशि का यह खेल भी मुख्यमंत्री तक पहुंच गया था और ओमप्रकाश आर्य के तबादले का एक कारण यह भी है।

…और ओमप्रकाश की जगह लेंगे मंगला प्रसाद सिंह   

शासन ने गाजीपुर डीएम के पद पर मंगला प्रसाद सिंह की नियुक्ति की है। उनके 13 सितंबर को कर कार्यभार संभालने की संभावना है। श्री सिंह अब तक लखनऊ में एलडीए के सचिव रहे हैं। वह मूलत: सुल्तानपुर जिले के रहने वाले हैं। सन् 1997 में प्रदेश प्रशासनिक सेवा में आए और  पूर्वांचल के वाराणसी, जौनपुर आदि जिलों मे विभिन्न पदों पर अपनी सेवा दिए। पदोन्नति पाकर आईएएस कॉडर में आने के बाद श्री सिंह का डीएम पद पर यह पहली तैनाती है।

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