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…तब अपने डैमेज कंट्रोल में जुटे हैं विशाल सिंह चंचल!

गाजीपुर। एमएलसी विशाल सिंह चंचल ने अपने अगले चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। मनिहारी ब्लाक मुख्यालय परिसर में 28 दिसंबर को ग्राम प्रधानों की विदाई   और बीडीसी सदस्यों के सम्मान में उनकी ओर से आयोजित समारोह के बाद से राजनीतिक हलके में यह चर्चा उठी है। चंचल का कार्यकाल सात मार्च 2022 तक है।

उस समारोह के लिए उन्होंने प्रदेश सरकार के ग्राम विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह को बहैसियत मुख्य अतिथि आमंत्रित किया था। समारोह में मोती सिंह ने मुक्त कंठ से बड़ाई कर उनका टेंपो हाई भी किया। खुद चंचल सिंह भी समारोह में आए पूर्व ग्राम प्रधानों को आदर, सम्मान देकर उनका दिल जितने में अपनी ओर से कोई कोर कसर भी नहीं छोड़ी।

कहा तो यह भी जा रहा है कि मनिहारी में ही यह समारोह आयोजित करने के पीछे उनकी कोशिश डैमेज कंट्रोल की है। दरअसल विधान परिषद की स्थानीय निकाय क्षेत्र की गाजीपुर सीट पर पिछले चुनाव में वह सपा से टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर निर्दल चुनाव लड़े थे। तब उन्हें भाजपा का पूरा समर्थन मिला था। फिर अंसारी बंधु भी उनके अभियान में तन-मन से जुटे थे। बल्कि अंसारी बंधुओं ने उनके लिए मुहम्मदाबाद तथा जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों के वोट से चंचल को निश्चिंत भी कर दिया था। उधर गंगा पार जमानियां विधानसभा क्षेत्र में भी अंसारी बंधुओं से उन्हें मदद मिली थी। शेष कमी भाजपा से पूरी हो गई थी। सदर तथा जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा के समर्थन से उनका काम बना था जबकि सैदपुर तथा जखनियां विधानसभा क्षेत्र में चंचल को उनके खुद के परिवारीजनों, संबधियों, परिचितों की सियासी हैसियत का लाभ मिला था।

बावजूद सपा उम्मीदवार डॉ.सानंद सिंह ने चंचल को कांटे की टक्कर दी थी। वह चंचल से मात्र 65 वोट से पीछे रह गए थे। चंचल को 1186 वोट मिले थे जबकि डॉ. सानंद सिंह के खाते में 1121 वोट पड़े थे। तब राजनीतिक प्रेक्षकों ने यह भी नोटिस में लिया था कि सपा का प्रचार अभियान पार्टी के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह अकेले अपने बूते खड़ा किए थे। सपा के अन्य नेता महज कोरम ही पूरा किए थे।

बहरहाल चंचल के लिए अगले चुनाव के हालात दूजे होंगे। सबसे ज्यादा उनका नुकसान तो अंसारी बंधुओं के आधार का हुआ है। अंसारी बंधु अब बसपा में हैं जबकि चंचल उनकी धुर विरोधी भाजपा में हैं। तब सपा सत्ता में थी। सत्ताधारी पार्टी में स्वभाविक माने जाने वाले रोग नेताओं में आपसी बर्चस्व को लेकर खींचतान से भी वह पीड़ित थी लेकिन अब सपा सत्ता से बाहर है  और भाजपा सत्ता में है। जाहिर है कि अगले एमएलसी चुनाव में सपा नेता पूरे जीजान से जुटेंगे जबकि भाजपा नेताओं में चल रही आपसी खींचतान किसी से छिपी नहीं है।

संभवतः चंचल को इस सबका एहसास है। शायद यही वजह है कि वह अगले चुनाव में अपने लिए मनमाफिक हालात बनाने में जुट गए हैं। गाजीपुर में ग्राम विकास मंत्री का व्यस्त कार्यक्रम लगाना उनके इसी कवायद से जोड़ा जा रहा है।

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