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जहूराबादः भाजपा की ‘चाल’, खोली ‘तुरुप का पत्ता’!

बाराचवर/गाजीपुर (यशवंत सिंह)। आखिर जहूराबाद विधानसभा सीट की उम्मीदवारी को लेकर भाजपा शनिवार को अपना पत्ता खोल दी। पूर्व विधायक कालीचरण राजभर को टिकट देकर वह अपनी ओर से सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के ‘खदेड़ा’ का मुकम्मल इंतजाम कर दी है।

भाजपा की इस चाल को समझने के लिए जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र के जातीय समीकरण पर गौर करना होगा। यह क्षेत्र दलित और राजभर बाहुल्य है। कालीचरण राजभर इसी समीकरण के बूते 2002 तथा 2007 के चुनाव में विधायक चुने गए थे। 2012 में पहली बार इस क्षेत्र में सपा का झंडा फहरा था। सपा की शादाब फातिमा विधायक चुनी गई थीं। तब  मुस्लिम तथा यादव वोटरों का बहुमत उनके साथ था। कालीचरण राजभर दूसरे स्थान पर थे। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को तीसरा स्थान मिला था। उस चुनाव में वह अंसारी बंधुओं की अगुवाई वाले कौमी एकता दल के साझीदार थे लेकिन 2017 के चुनाव में उन्होंने बाजी मारी। उस चुनाव में वह भाजपा के साथ थे। साफ था कि उन्हें अपनी बिरादरी के अलावा अगड़ों, वैश्यों सहित भाजपा से जुड़ी अन्य बिरादरी के वोट मिले थे। बसपा कालीचरण राजभर पर ही दाव लगाई थी और वह अपनी बिरादरी में हिस्सेदारी के साथ दलितों के वोट के साथ दूसरे स्थान पर थे। सपा के महेंद्र चौहान अपनी बिरादरी के अलावा मुसलमान तथा यादवों का बहुमत बटोर कर तीसरा स्थान हासिल किए थे।

इस बार के चुनाव में दलीय उम्मीदवारों के चेहरे उलट-पलट गए हैं। इस दशा में माना जा रहा है कि इसी हिसाब से वोटों के समीकरण भी बदलेंगे। जहां भाजपा से कालीचरण राजभर मुकाबिल होंगे। वहीं सपा-सुभासपा गठबंधन की ओर से ओमप्रकाश राजभर हैं और बसपा शादाब फातिमा को टिकट दी है। कालीचरण राजभर भाजपा के परंपरागत वोट बैंक के साथ अपनी बिरादरी में घुसपैठ के फेर में रहेंगे। उधर ओमप्रकाश राजभर अपनी बिरादरी के अलावा यादव, मुस्लिम सहित सपा से जुड़ी अन्य बिरादरी के वोटों की उम्मीद लगाएंगे। साथ ही चुनावी रणनीति के तहत सपाई रहे महेंद्र चौहान को अपनी पार्टी का झंडा-डंडा देकर बलिया की रसड़ा सीट पर शिफ्ट कर दिए हैं। उस नाते वह चौहान वोट बैंक में भी अपनी दखल की कोशिश करेंगे लेकिन राजभर वोट बैंक पर पूरी तरह कब्जा करने के उनके मंसूबे पर भाजपा के कालीचरण राजभर पानी फेरेंगे। महेंद्र चौहान की नामौजूदगी में चौहान वोटों में भी कालीचरण विभाजन करने की स्थिति में रहेंगे और ओमप्रकाश राजभर की रही सही कसर बसपा की शादाब फातिमा पूरी कर सकती हैं। वह मुस्लिम वोटरों में ठीक से हिस्सेदारी करने की कोशिश करेंगी। हालांकि वह शिया हैं जबकि जहूराबाद क्षेत्र के मुसलमानों में सुन्नी बहुतायत में हैं और उन पर अंसारी बंधुओं का असर माना जाता है लेकिन 2012 के चुनाव में शादाब फातिमा ने जीत दर्ज करा कर अंसारी बंधुओं को सुन्नियों में बेअसर साबित कर दिया था। हालांकि शादाब फातिमा की अगड़ों में भी घुसपैठ है। इस समीकरण से यह लगभग तय है कि वह भी मुख्य मुकाबले में रहेंगी।

जहूराबाद में अनुमानित जातीय आंकड़ा

कुल चार लाख चार हजार 682 वोटरों में दलित 70 हजार, राजभर 60 हजार, राजपूत 45 हजार, यादव 40 हजार, चौहान 30 हजार, मुसलमान 25 हजार, कुशवाहा 20 हजार, वैश्य 25 हजार, बिंद 20 हजार, ब्राह्मण 15 हजार, भूमिहार 20 हजार, पाल पांच हजार, विश्वकर्मा चार हजार, प्रजापति तीन हजार, खरवार तीन हजार, नाई तीन हजार और शेष में पटेल, कनौजिया, कायस्थ, मल्लाह, वनवासी हैं।

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