अपने कुनबे को कहां एडजस्ट करेंगे ओमप्रकाश राजभर

गाजीपुर। इसमें कोई शक नहीं कि मऊ में बड़ी रैली के जरिये खुद की जमीनी ताकत दिखाकर सुभासपा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सपा मुखिया अखिलेश यादव को अपने अरदब में ले लिया है और अब देखने की बारी है कि उनसे विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे में कितनी सीटें वह अपने खाते में लेंगे और खुद के कुनबे को कहां-कहां एडजस्ट करेंगे।
ओमप्रकाश राजभर को करीब से जानने वालों की मानी जाए तो उनके लिए अपना कुनबा सर्वोपरि है। संगठन में ही देखा जाए तो जहां वह खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, वहीं उनके बड़े बेटे अरविंद राजभर प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव हैं तो छोटे बेटे अरुण राजभर राष्ट्रीय महासचिव हैं और पत्नी तारा राजभर महिला इकाई की मुखिया हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में वह साझीदार रही भाजपा से कम से कम 12 सीटें मांग रहे थे। वाराणसी की शिवपुर सीट से छोटे बेटे अरुण तथा बलिया की रसड़ा सीट पर पत्नी तारा को लड़ाने की तैयारी थी लेकिन बात नहीं बनी थी। उन्हें अपने खाते में आई मात्र आठ सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। गाजीपुर की जहूराबाद से खुद लड़े थे और बलिया की बांसडीह से बड़े बेटे अरविंद राजभर को उतारे थे वह तीसरे स्थान पर खिसक गए थे जबकि भाजपा के लिए वह सीट श्योर शॉट मानी जा रही थी। नतीजे ने वह बात साबित भी कर दी थी। अरविंद राजभर 40 हजार 150 वोट पाए जबकि भाजपा की बागी केतकी सिंह पूरे 49 हजार 276 वोट बटोरीं और इन दोनों की लड़ाई में मात्र 579 वोट के फासले के साथ सपा के रामगोविंद चौधरी के माथे जीत का सेहरा बंध गया था। पिछले चुनाव के नतीजे पर गौर किया जाए तो ओमप्रकाश राजभर की पार्टी सुरक्षित सीटों पर अपेक्षित प्रदर्शन की थी। कुल चार में तीन जखनियां (गाजीपुर), असगरा (वाराणसी) तथा रामकोला (कुशीनगर) पर जीत दर्ज हुई थी जबकि शेष चार सामान्य सीटों में अकेले जहूराबाद (गाजीपुर) ओमप्रकाश राजभर जीत पाए थे और अन्य में बांसडीह के अलावा मऊ में मुख्तार अंसारी तथा शाहगंज (जौनपुर) में सपा के शैलेंद यादव ललई से इनकी पार्टी पिछड़ गई थी।
जाहिर है कि इस बार अपने कुनबे के एडजस्टमेंट में ओमप्रकाश राजभर को सपा मुखिया से कहीं अन्यत्र की सामान्य सीटें मांगनी होंगी। हालांकि मंगलवार को एक प्रमुख अखबार के न्यूज पोर्टल से बातचीत में अपने बड़े बेटे अरविंद राजभर के चुनाव लड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब उनके संकल्प भागीदारी मोर्चा के घटक दलों और सपा से टिकट के बंटवारे की बात होगी तब यह सब स्पष्ट होगा। वैसे वह यह भी जोड़े कि जरूरी नहीं कि वह खुद चुनाव लड़े ही। पूरे प्रदेश में चुनाव अभियान जो उन्हें देखना है। तब हैरानी नहीं कि जहूराबाद सीट वह अपने कुनबे के लिए छोड़ दें।
…पर मुख्तार के बेटे के सवाल पर यह बोले
ओमप्रकाश राजभर से उस न्यूज पोर्टल का यह भी सवाल था कि मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी के लिए मऊ की घोसी सीट क्या वह छोड़ेंगे। उनका कहना था कि इसका भी जवाब टिकट बंटवारे के बाद ही मिलेगा। मालूम हो कि पिछला चुनाव अब्बास बसपा के उम्मीदवार थे। 80 हजार 860 वोट बटोरकर भाजपा उम्मीदवार फागु चौहान को कांटे की टक्कर दिए थे। हालांकि ओमप्रकाश राजभर इस बार मुख्तार अंसारी को अपनी पार्टी सुभासपा से मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ने की कई बार पेशकश कर चुके हैं लेकिन सियासी हलके में चर्चा है कि मुख्तार अंसारी सुभासपा-सपा से शायद ही टिकट मांगे। बल्कि वह निर्दल ही चुनाव लड़ेंगे। तो यह भी तय है कि सुभासपा-सपा उन्हें समर्थन देंगे।