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जेल में बिताए दिनों को ही पूर्ण सजा मानकर दुष्कर्मी की रिहाई का आदेश

गाजीपुर। स्पेशल जज (पॉक्सो) विष्णुचंद्र वैश्य ने मंगलवार को एक मामले में अनोखा फैसला दिया। घर में घुसकर नाबालिग सहित दो बहनों संग छेड़छाड़ के आरोपित को कसूरवार तो वह माने मगर जेल में बिताई अवधि को ही पूर्ण सजा मानते हुए उसे रिहा करने का भी आदेश दिए।

मामला मुहम्मदाबाद कोतवाली के परसा गांव का था। दुष्कर्मी सुरेंद्र शुक्ल उर्फ सोनू गांव के ही एक परिवार के घर में दस अक्टूबर 2016 को जबरिया घुसा और वादिनी मुकदमा से छेड़छाड़ करने लगा था। वादिनी की चीख पुकार पर जब उसकी नाबालिग बहन मौके पर पहुंची तब उसने उससे भी छेड़छाड़ शुरू कर दिया। दोनों बहनों के पिता जब मौके पर पहुंचे। तब सोनू उनके संग मारपीट कर धमकी देते हुए भाग गया था। एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस सोनू को 13 अक्टूबर 2016 को जेल भेज दी।

मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता अनुज कुमार राय ने कुल छह गवाह पेश किए गए। उन सभी ने अभियोजन के कथानक की पुष्टि की। उस आधार पर न्यायाधीश ने सोनू को दर्ज सभी धाराओं में दोषी करार दिया लेकिन सजा के सवाल पर कहा कि दुष्कर्मी पहले ही अपना जुर्म कबूल चुका है और उसे अधिकतम सात साल के कैद की सजा दी जा सकती है जबकि वह पांच साल से अधिक अवधि से जेल में ही है। लिहाजा उसे जेल से रिहा किया जाए।

गाजीपुर के लिए पॉक्सो एक्ट के मामले में यह पहला मौका है जब कोर्ट ने आरोपित को दोषी मानने के बावजूद जेल में काटे गए उसके दिनों को ही पूर्ण सजा मानकर रिहा करने का आदेश दिया है। यहां तक कि इस मामले में कोर्ट में बहस, जिरह तक की नौबत नहीं आई।

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