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शादाब फातिमा के लिए नहीं बनी गुंजाइश!

गाजीपुर। सपा में पूर्व मंत्री शादाब फातिमा के लिए कोई गुंजाइश की बात अब लगभग खत्म हो चुकी है।

शादाब के समर्थकों को उम्मीद थी कि सपा से समझौते की सूरत में उनकी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को गाजीपुर की जहूराबाद न सही सदर विधानसभा सीट तो मिल ही जाएगी। तब मोहतरमा के लिए चुनाव लड़ने की गुंजाइश बन जाएगी लेकिन पार्टी के लोगों की यह उम्मीद तब टूट गई जब पार्टी मुखिया शिवपाल यादव को सपा उनकी परंपरागत सीट जसवंतनगर के लिए अपना टिकट थमा दी जबकि शिवपाल यादव उस सीट से अपने बेटे आदित्य यादव को लड़ाना चाहते थे और खुद कहीं अन्यत्र से लड़ने की सोच रहे थे।

इससे साफ है कि शिवपाल यादव अपने भतीजे और सपा मुखिया अखिलेश यादव के आगे पूरी तरह ‘सरेंडर’ कर चुके हैं और इस हैसियत में नहीं हैं कि अपनों को उनकी पसंद की सीट पर एडजस्ट करवा पाएं। इस दशा में कहा जा सकता है कि शादाब फातिमा की सियासी मंशा भी धरी की धरी रह जाएगी। गाजीपुर की जहूराबाद सीट तो वैसे ही अखिलेश यादव अपने दूसरे साझीदार सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के खाते में डाल चुके हैं। वह वर्तमान में जहूराबाद से विधायक जो हैं।

मालूम हो कि शादाब फातिमा 2007 के विधानसभा चुनाव में बसपा की लहर के बावजूद  सपा के टिकट पर गाजीपुर सदर सीट से विजयी हुई थीं। फिर 2012 के चुनाव में वह जहूराबाद सीट पर चली गईं और न सिर्फ दोबारा विधानसभा में पहुंची बल्कि अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा की सरकार बनी तो मंत्रिपरिषद में भी जगह पाईं। सपा में उनकी यह हैसियत शिवपाल यादव के चलते ही बनी थी लेकिन उसका खामियाजा भी उन्हें भुगतना पड़ा था। शिवपाल यादव और अखिलेश यादव के झगड़े में शादाब फातमा को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त होना पड़ा था। बाद में शिवपाल यादव ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी गठित की तो शादाब फातिमा को मुख्य प्रवक्ता की जिम्मेदारी सौंपी।

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