…तब अखिलेश ने अपने कई सियासी मतलब भी साधे !

भांवरकोल/गाजीपुर (जयशंकर राय)। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने बुधवार को फखनपुरा से विजय यात्रा के चौथे चरण की शुरुआत कर अपने कई सियासी मतलब साधे।
जहां भारी भीड़ जुटाकर धुर विरोधी भाजपा को उन्होंने अपनी जन ताकत दिखाई और पूर्वांचल एक्सप्रेस वे के श्रेय लेने की कवायद को लेकर उसे आमजन के बीच सवालों के कठघरे में खड़ा किए। वहीं लुभावने वादों से जनमानस को रिझाने का मौका नहीं छोड़े। विजय रथ पर सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को संग लेकर वह यह भी दर्शाए कि उनका गठजोड़ अटूट है।
फिर गाजीपुर के चुनींदे पार्टी नेताओं को विजय रथ पर चढ़ने और अपने संग जन समूह से मुखातिब होने का मौका देकर अखिलेश यादव पार्टी कॉडर को यह संदेश देना भी नहीं भूले कि अपनी पार्टी के जिस नेता की निष्ठा पर वह शक करते हैं। जिस नेता को वह नापसंद करते हैं। जिस नेता से वह खार खाते हैं। वह नेता उनके लिए निष्ठावान हैं। वह नेता उनकी पसंद हैं। वह नेता उनका अजीज है।
जाहिर है कि पार्टी कॉडर का एक बड़ा धड़ा जिला पंचायत चेयरमैन चुनाव में विधायक डॉ.वीरेंद्र यादव की भूमिका को संदिग्ध मानता है लेकिन विजय रथ पर उनके भेंट किए गए चांदी के गदे को अखिलेश यादव सहर्ष स्वीकार कर उसे कुछ देर तक लहराए। उधर पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह को उनके निर्वाचन क्षेत्र जमानियां के पार्टी कॉडर का एक हिस्सा नापसंद करता है लेकिन विजय रथ पर अखिलेश यादव ने उन्हें बगलगीर बनाया। इसी तरह पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी से पार्टी कॉडर का एक तबका भरसक उनसे दूर ही रहना चाहता है। उनके पूरे कुनबे को मौका परस्त मानता है लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें विजय रथ में बैठने का वक्त भी दिया।
खैर पार्टी मुखिया अखिलेश यादव की विजय यात्रा के मौके पर जनसभा को ऐतिहासिक बनाने में पार्टी कॉडर ने अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी। हर नेता खुद के कद, हैसियत के हिसाब से अपने विधानसभा क्षेत्र से समर्थकों, कार्यकर्ताओं को लेकर पहुंचे थे। सदर विधानसभा क्षेत्र के लिए तो पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह ने बड़ी-छोटी गाड़ियों का एक बड़ा बेड़ा ही लगवा दिया था। पिछले चुनाव में सदर विधानसभा सीट से पार्टी प्रत्याशी रहे राजेश कुशवाहा भी हुजूम लेकर पहुंचे थे।