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चुनावी जीत को लेकर पुत्र संग विधायक की छवि पर उठी अंगुली

गाजीपुर। मुहम्मदाबाद ब्लॉक प्रमुख पद पर अपनी पार्टी की जीत को भले ही भाजपा विधायक अलका राय और उनके बेटे पीयूष राय खुद की बड़ी उपलब्धि मान रहे हों लेकिन शनिवार को चुनाव में कथित बेईमानी को लेकर जिस अंदाज में जनाक्रोश प्रकट हुआ है, उससे मां-बेटे की छवि पर अंगुली उठ रही है।

यहां तक कि अलका राय और पीयूष राय के विरुद्ध मुर्दाबाद के नारे गूंजे। पुलिस के बल पर गुंडई के खुलेआम आरोप लगे। आक्रोश जताने वालों में विरोधियों सहित भाजपा के लोग भी शामिल थे। उनका कहना था कि विधायक पुत्र ने पुलिस की आड़ लेकर अपने उम्मीदवार अवधेश राय के प्रतिद्वंद्वी उत्सव राय अप्पू के वोटरों का मतदान पूर्व अपहरण कर लिया। इस आशय का पत्र भी मौके पर पहुंचे उच्चाधिकारियों को दिया गया लेकिन कुछ नहीं हुआ और आखिर में वोटों की गिनती कर भाजपा उम्मीदवार अवधेश राय को 22 वोट के अंतर से विजयी घोषित कर दिए गए। सीधे मुकाबले में अवधेश राय को कुल 60 वोट मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी उत्सव राय अप्पू के खाते में मात्र 38 वोट पड़े थे।

अपने चुनाव अभियान की शुरुआत अवधेश राय ने सपा उम्मीदवार के रूप में की थी। उस पर सपा की मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र इकाई अध्यक्ष हरिनारायण यादव ने कड़ी आपत्ति भी जताई थी। जिलाध्यक्ष रामधारी यादव को इस आशय की चिट्ठी तक लिखी थी लेकिन जिलाध्यक्ष ने तब यह कह कर मामले को रफादफा कर दिया था कि अवधेश राय सपा नहीं छोड़े हैं।

फिर चुनाव अभियान आगे बढ़ा तो अवधेश राय के साथ भाजपा विधायक अलका राय के बेटे पीयूष राय सीधे जुड़ गए। हालांकि अवधेश राय के सपा से पलटी मार कर भाजपा में जाने की आधिकारिक जानकारी क्षेत्र के लोगों को तब मिली जब ब्लॉक प्रमुख के उम्मीदवारों की भाजपा जिलाध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने पार्टी कार्यालय में घोषणा की। वह संयोग था या उनकी किसी रणनीति का हिस्सा कि उस मौके पर खुद पहुंचने की भी अवधेश राय ने जरूरत नहीं समझी थी जबकि दूसरी पार्टी से भाजपा में आकर ब्लॉक प्रमुख का टिकट पाने वाले अन्य सभी उस कार्यक्रम में खास तौर पर हाजिर थे। उधर अवधेश राय के प्रतिद्वंद्वी उत्सव राय अप्पू के चुनाव अभियान में अंसारी बंधुओं के अलावा मुहम्मदाबाद भाजपा की भी बड़ी जमात थी और आखिर में सपा ने भी उन्हें समर्थन का ऐलान कर दिया।

चुनाव अभियान की शुरुआत से आखिर तक दोनों उम्मीदवारों में खूब कशमकश चली। विधायक पुत्र पर असलहा चमकाने तक के आरोप लगे। उनके बुलावे पर कई बार पुलिस को जगह-जगह पहुंचना पड़ा। एक बार तो उत्सव राय अप्पू पकड़ कर कोतवाली लाए गए थे लेकिन भाजपा के ही एक ओहदेदार नेता के फोन करने पर वह कुछ घंटे बाद ही छोड़ भी दिए गए थे।

हालांकि राजनीतिक पंडित ब्लॉक प्रमुख चुनाव अभियान के घटनाक्रमों को अलग-अलग नजरिये से देख रहे हैं। कुछ का मानना है कि इन घटनाक्रमों का विधानसभा चुनाव में अलका राय के समीकरण पर असर पड़ेगा। मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र भूमिहार बाहुल्य है और कई गांवों में इसी बिरादरी को आतंकित, अपमानित होना पड़ा है लेकिन अन्य इसे विधायक अलका राय के विधानसभा चुनाव अभियान का शानदार आगाज बता रहे हैं। उनका कहना है कि यह पहला मौका है जब विधायक अलका राय ने मुहम्मदाबाद ब्लॉक में पार्टी को शानदार जीत दिलाई है। फिर उन्होंने भांवरकोल, रेवतीपुर ब्लॉक में पार्टी को निर्विरोध जीत दिलाकर भाजपा के धुर विरोधी अंसारी बंधुओं को पूरे विधानसभा क्षेत्र की पंचायत राजनीति से चलता कर दिया है और इस कवायद में विधायक पुत्र पीयूष राय उनके दमदार राजनीतिक वारिस के रूप में सामने आए हैं। रही बात चुनाव में बेईमानी, वोटरों के अपहरण की तो यह सरासर बेबुनियाद है। अवधेश राय की जीत में वोटों का बड़ा फासला इसकी खुद गवाही करता है।

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