सीएमओ तक पहुंची ‘गुडविल हॉस्पिटल’ की कारस्तानी

गाजीपुर। शहर के आमघाट सहकारी कॉलोनी स्थित निजी हॉस्पिटल ‘गुडविल’ में आपके इलाज की कोई गारंटी नहीं लेकिन तय है कि इलाज के नाम पर आपकी जेब जरूर खाली करा ली जाएगी।
भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश राजभर के परिवार का तो यही अनुभव है। उनके भतीजे को उस हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया था। हॉस्पिटल प्रबंधन ने पूरे पांच दिन के इलाज की खर्च राशि बतौर अग्रिम जमा करवा ली। मंगलवार की शाम भाजयुमो जिलाध्यक्ष विश्वप्रकाश अकेला उसका हालचाल लेने पहुंचे। इस बाबत हॉस्पिटल के मुख्य डॉक्टर से वह उसकी स्थिति पूछे। बस इतने पर ही वह मुख्य डॉक्टर एकदम से उखड़ गए और राजेश भारद्वाज के बीमार भतीजे को डिस्चार्ज कर दिए। इसकी खबर मिलते ही भाजयुमो के पूर्व जिला मंत्री योगेश सिंह सहित और भी कार्यकर्ता मौके पर पहुंच गए। उन लोगों ने मुख्य डॉक्टर के पिताश्री रिटायर्ड सीएमओ एके पांडेय से शिकायत की लेकिन वह मुख्य डॉक्टर अपने पिता की भी कुछ सुनने को तैयार नहीं हुआ और आखिर में राजेश भारद्वाज के भतीजे को अपने हॉस्पिटल से बहरिया कर ही माना। तब उसे जिला अस्पताल ले जाकर दाखिल कराया गया।
इस सिलसिले में भाजयुमो के लोग बुधवार को सीएमओ से मिल कर लिखित तौर पर पूरी दास्तां सुनाई और हॉस्पिटल प्रबंधन के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई की मांग की। सीएमओ के पास पहुंचे भाजयुमो नेताओं में राजेश भारद्वाज के अलावा योगेश सिंह तथा विश्वप्रकाश अकेला थे।
‘आजकल समाचार’ ने देर शाम इस संबंध में सीएमओ हरगोविंद सिंह से चर्चा की। उन्होंने बताया कि मिली लिखित शिकायत को संज्ञान में लेते हुए उन्होंने एसीएमओ एके वर्मा की अगुवाई में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित कर दी है। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। हालांकि सीएमओ ने इसी क्रम में यह भी जोड़ा कि वह निजी हॉस्पिटल बकायदा रजिस्टर्ड है और पता चला है कि हॉस्पिटल में कुछ लोगों ने हंगामा किया था।
हॉस्पिटल प्रबंधन को नोटिस दे चुका है मास्टर प्लान
गुडविल हॉस्पिटल मास्टर प्लान के भी राडार पर है। उसकी ओर से बकायदा नोटिस दी गई है। आरोप है कि स्वीकृत नक्शे से हट कर हॉस्पिटल की बिल्डिंग में निर्माण कराया गया है। वैसे खबर यह भी है कि हॉस्पिटल प्रबंधन ने मास्टर प्लान के लोगों को अपने स्तर से ‘मैनेज’ लिया है।