कभी पाई-पाई को मुंहताज रहा पर ‘हेरोइन’ से पूर्व प्रधान के कुनबे ने बनाई बेशुमार दौलत

गाजीपुर। कहते हैं पाप का घड़ा एक न एक दिन भरता अवश्य है और वाकई ऐसा ही हुआ जमानियां कोतवाली के सब्बलपुर कला के पूर्व प्रधान दिवंगत धर्मराज यादव के कुनबे का। धर्मराज का बेटा राजू यादव को ऐन धनतेरस की रात जब पुलिस उसके साथी कृष्णकान्त जायसवाल उर्फ सोनू निवासी सोनार टोली जमानियां की निशानदेही पर पकड़ी तो उसके गांव के लोगों को कतई हैरानी नहीं हुई। बल्कि उन्हें तो अंदाजा था कि राजू के कब्जे से कम से कम तीन-चार करोड़ की करेंसी और भारी मात्रा में हेरोइन मिलेगी। फिर उसके तस्करी रैकेट में शामिल महिलाएं भी बेनकाब होंगी।
सब्बलपुर कला के लोगों की मानी जाए तो दो दशक पहले तक धर्मराज यादव का कुनबा पाई-पाई को मुंहताज था मगर फिर कुनबे के घर अचानक मानों धन बरसने लगा। खपरैल का पैतृक घर आलीशान मकान में तब्दिल हो गया। हाइवे किनारे बेशकीमती भूखंड खरीद कर बड़े कैंपस में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस दुआर बना। बड़ा कटरा बना और न जाने कितने बड़े शहरों में बेनामी कीमती भूखंड लिए गए। आलम यह कि सब्बलपुर और सटे गांवों में जहां कीमती खेत, भूखंड बिकने की बात आती तो धर्मराज का कुनबा चढ़ा-ऊपरी कर उन्हें खरीद लेता। आज कुनबा करीब 70 बीघे खेत का मालिक है। कुनबे के पास लग्जरी गाड़ियों का लंबा बेड़ा है।
जाहिर है कि आज के नवधनाढ्यों के लिए स्टेटस सिंबल सियासती पद है। सो पहले धर्मराज यादव धन के बूते अपनी ग्राम पंचायत सब्बलपुर कला का प्रधान बना। फिर उसके निधन के बाद बड़ा बेटा रामबली यादव ने वह कुर्सी संभाली। बीते चुनाव में वह कुर्सी महिला के लिए आरक्षित हुई तो अपनी पत्नी मुन्नी को लड़ाया। पहले की तरह खूब धन फूंका। बावजूद कांटे की लड़ाई में मुन्नी दूसरे स्थान पर रही। नामांकन के वक्त शपथ पत्र में उसने अपनी चल संपत्ति कुल 2.10 करोड़ और अचल संपत्ति 3.5 करोड़ रुपये दर्शाई थी।
आन गांव से तो अपने धतकरम छिपाए जा सकते हैं लेकिन अपने गांव, पड़ोसी से कुछ छिप नहीं पाता। जल्द ही सब्बलपुर के लोगों को धर्मराज यादव के कुनबे की कारस्तानी और चमत्कृत तरीके से धन की तरक्की का स्रोत पता चल गया लेकिन उसी हिसाब से कुनबे के बढ़े रसूख के आगे अपना मुंह खोलना मुनासिब नहीं समझे। खुद पुलिस कप्तान रामबदन सिंह ने भी मीडिया से बातचीत में माना कि पुलिस के हाथ लगे तस्कर कई साल से इस धंधे में लिप्त थे। इनका बड़ा रैकेट है, जो बिहार तक फैला है। रैकेट में शामिल लोगों की पहचान कर उनकी धरपकड़ भी होगी। बाद में एचएचओ जमानियां ने बताया कि राजू यादव के बड़े भाई रामबली यादव उर्फ बल्ली की भी तलाश हो रही है।
गिरफ्तारी की कहानी, पुलिस कप्तान की जुबानी
पुलिस कप्तान रामबदन सिंह ने गिरफ्तार राजू यादव तथा उसके साथी कृष्णकान्त जायसवाल उर्फ सोनू को मीडिया के सामने पेश किया और उनके पुलिस के हाथ लगने और उनके कब्जे से बरामदगी की कहानी बताई। बताए कि नाइट पेट्रोलिंग टीम मगंलवार की रात वाहन चेकिंग कर रही थी। उसी दौरान रात करीब साढ़े दस बजे एक वाहन को रोका गया। वाहन सवार जमानियां कोतवाली के सब्बलपुर का राजू यादव और जमानियां की सोनार टोली का कृष्णकांत जायसवाल उर्फ सोनू को गिरफ्तार कर लिया गया। इनके कब्जे और निशानदेही पर कुल 65 लाख सात हजार 900 रुपये की नकदी, 32 बोर की देशी पिस्टल, तीन कारतूस, अलग-अलग प्लास्टिक की पन्नी में 350–350 ग्राम हेरोइन, करीब एक किलो कट हेरोइन के अलावा एल्यूमिनियम फ्वायल, दो इलेक्ट्रानिक तराजू, हेरोइन बनाने में इस्तेमाल होने वाला पांच किलो सोडियम कार्बोनेट और दो लग्जरी वाहन बरामद हुए। बरामद हेरोइन की अंतरराष्ट्रीय कीमत 70 लाख रुपये आंकी गई है। राजू यादव अन्य आपराधिक गतिविधियों में भी संलिप्त रहा है। उसके विरुद्ध पहला मामला आर्म्स एक्ट के तहत 2007 में दिलदारनगर थाने में दर्ज हुआ था। 2008 में गाजीपुर शहर कोतवाली में हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया गया था। फिर 2014 तथा 2015 में जमानियां कोतवाली में संगीन धाराओं में वह निरुद्ध हुआ था। निःसंदेह किन्हीं तस्करों के कब्जे से इतनी बड़ी संख्या में नकदी बरादगी का यह पहला मामला है।
…और पुलिस टीम में यह थे शामिल
बकौल पुलिस कप्तान, इस गुडवर्क में सीओ जमानियां हितेंद्र कृष्ण तथा सीओ सिटी ओजस्वी चावला के अलावा एसएचओ जमानियां संपूर्णानन्द राय, एआई महेशपाल सिंह, एसओ जंगीपुर जितेंद्र बहादुर सिंह, स्वाट टीम इंचार्ज राकेश कुमार सिंह आदि की अहम भूमिका रही।