शेरपुरः डेढ़ दशक बाद लौटी ‘खुर्द’ की परधानी

भांवरकोल/ गाजीपुर (जयशंकर राय)। इस बार पंचायत चुनाव में शहीदों के गांव शेरपुर में निःसंदेह बदलाव की लहर थी। गांव किसी पढ़े लिखे और युवा को अगुवाई सौंपने के मूड में था। आखिर में नतीजा भी वैसा ही आया। बड़ा उलटफेर हो गया। ग्राम प्रधान की कुर्सी पर उच्च शिक्षित (एमएस-सी, बीटीसी) 29 साल की अंजलि राय विराजमान हो गईं।
पुरनिये घाघ लड़वइये ढेर हो गए। हालांकि उन्होंने अपनी जीत के लिए प्रचार अभियान में कोई कोरकसर नहीं छोड़ी। हर तरकीब आजमाई। पट्टी, खानदान, जाति, वर्गवाद तक के पत्ते चले गए। मदिरा-मुद्रा तक बहाए गए। पीढ़ियों पुराने घटनाक्रमों की परतों को उधेड़ कर अपने लिए जज्बाती पालेबंदी की भी कोशिश हुई। कुछेक तो अंजलि के खानदानी वोटबैंक में ही सेंधमारी का दिमाग लगा दिए लेकिन अंजलि के युवा रणनीतिकारों के आगे किसी की एक नहीं चली।
बावजूद अंजलि के लिए यह लड़ाई सहज नहीं थी। आनंद राय से उनकी कांटे की टक्कर हुई। वोटों की गिनती के आखिरी दौर तक रोमांच बना रहा। गिनती के बाद अंजलि के खाते में कुल 3398 वोट दर्ज हुए और उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी आनंद राय का कुल जमा वोट की संख्या 3131 रही जबकि पूर्व प्रधान जयप्रकाश राय 2400 वोट बटोर पाए। निवर्तमान प्रधान बिजुला राय के पति ललन राय 750 वोट लेकर लड़ाई से बाहर हो चुके थे। वैसे तो कुल उम्मीदवार 20 थे लेकिन इनमें ज्यादतर इन्हीं चार प्रमुख उम्मीदवारों के डमी थे। लिहाजा पड़े सभी वोट भी उनमें ही बंटकर रह गए।
शेरपुर ग्राम पंचायत सात पुरवों में बंटी है। अंजलि राय छोटका पुरवा (खुर्द) से हैं जबकि निकटतम आनंद राय सहित सभी प्रतिद्वंद्वी बड़का पुरवा (कलॉ) के रहे। अंजलि के रणनीतिकारों ने अभियान में पहले छोटका पुरवा पर अपना फोकस किया। जब वहां का वोट बैंक अपने नाम एक्जाई कर लिया तब वह दूसरे पुरवे की ओर बढ़े। उधर उनके प्रतिद्वंद्वी अपने बड़का पुरवा में बंट-खप गए। अंजलि के अभियान की रणनीति काम आ गई। अपने छोटका पुरवा से ही उन्हें एक मुश्त 1800 वोट की बढ़त मिल गई। यह अन्य पुरवों में प्रतिद्वंद्वियों की बढ़त की भरपाई करते-कराते अंत में 267 वोट पर आकर रुकी और अंजलि की जीत सुनिश्चित कर दी।
अंजलि की यह जीत इतिहास भी दोहरा दी। गांव की परधानी डेढ़ दशक बाद छोटका पुरवा (खुर्द) में फिर लौट आई। प्रधान का पद बड़का पुरवा के नाम का मिथक पहली बार बर्ष 2005 के चुनाव में टूटा था। छोटका पुरवा की सुशीला राय (पत्नी स्व. अनिल काका) प्रधान चुनी गई थीं। उसके बाद के चुनावों में भी वह खुद लड़ीं लेकिन न तो दोबारा उन्हें जीत नसीब हुई और न छोटका पुरवा को ही परधानी करने का मौका मिला और अब जबकि अंजलि राय प्रधान चुन ली गई हैं तो ग्राम पंचायत की सियासत में छोटका पुरवा की हैसियत भी बड़का हो गई है।
…पर मेरे लिए अब हर पुरवा बराबरः अंजलि
शेरपुर ग्राम पंचायत के प्रधान की कुर्सी अपने छोटका पुरवा (खुर्द) खींच लाने के सवाल पर नवनिर्वाचित प्रधान अंजलि राय कहती हैं-अब में पूरे शेरपुर की ग्राम प्रधान हूं। मेरे लिए पुरवों में भेद करना सरासर बेमानी होगी। ग्राम पंचायत का हर कोई मेरे लिए सम्मानित है। मेरी प्राथमिकता ग्राम पंचायत का सर्वांगिण विकास होगी। जनांकांक्षाओं के अनुरूप बिकास कार्य होंगे। उनमें पूरी पार्दर्शिता रखी जाएगी। बच्चियों की शिक्षा और ग्रामीणों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए वह कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगी। गांव की खोई गरिमा वापस लाने की कोशिश होगी। मालूम हो कि अंजलि राय का परिवार काफी सुशिक्षित है। इनके पति जयनंद राय एमबीए की डिग्री लेने के बाद स्वास्थ्य विभाग में सेवारत हैं। उनके जेठ डॉ.सत्यानंद राय जाने माने फिजिशियन हैं जबकि दिवंगत ससुर डॉ.नाथ शरण राय एसीएमओ रहे हैं। अंजलि अपनी जीत का श्रेय ग्राम पंचायत के आमजन के साथ ही अपने स्वजनों को भी देती हैं।