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विकास के मुद्दे पर सुनीता को घेरेंगे ओमप्रकाश!

गाजीपुर। इस विधानसभा चुनाव में भी जमानियां सीट का मुकाबला कम रोचक नहीं रहेगा। पिछले चुनाव की तरह इस बार भी भाजपा से मौजूदा विधायक सुनीता सिंह और सपा की ओर से पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह की टक्कर लगभग तय माना जा रहा है।

ओमप्रकाश सिंह विकास के मुद्दे के जरिये सुनीता सिंह को घेरने की पूरी कोशिश करेंगे। इस बात का संकेत उनके समर्थकों के कहन से मिल रहे हैं। समर्थक सोशल मीडिया पर इस आशय की पोस्ट, कमेंट शुरू कर दिए हैं। इस कड़ी में रविवार की सुबह उनके समर्थक अनिल यादव ने अपने फेसबुक एकाउंट से पोस्ट कर 2012 से 2017 के बीच ओमप्रकाश सिंह के विधायकी काल में हुए पांच बड़े बजट के विकास कार्यों को गिनाया। उस क्रम में उन्होंने बताया कि ताड़ीघाट-बारा (टीबी) मार्ग का दो अरब 28 करोड़ की लागत से नवनिर्माण। गंगा तथा कर्मनाशा नदी पर करोड़ों की लागत से 15 पक्के घाटों का निर्माण। गंगा में चक्का बांध से जमानियां कस्बा स्थित बलुवा घाट तक कटानरोधी अरबों की परियोजना। दिलदारनगर-करमहरी, दिलदारनगर-देवल तथा भदौरा-देवल मार्ग के तीन की जगह सात मीटर चौड़ीकरण के अलावा सेवराई को तहसील घोषित कर मुख्यालय भवन का निर्माण कार्य हुए।

श्री यादव ने अपनी पोस्ट की शुरुआत में साफ कहा है कि विकास के ऐसे बड़े काम मौजूदा जमानियां विधायक के वश में नहीं हैं। पोस्ट के अंत में वह यह भी लिखते हैं कि अगली पोस्ट में वह ओमप्रकाश सिंह के कार्यकाल में और भी हुए विकास के बड़े कामों का वह जिक्र करेंगे। अनिल यादव की इस पोस्ट पर ओमप्रकाश सिंह के अन्य समर्थकों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया जताई है और मौजूदा विधायक सुनीता  सिंह की नाकामी बताई है।

सुनीता ने ओपी को धकेल दिया था तीसरे स्थान पर

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजे को पलटा जाए तो पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के राजनीतिक इतिहास में अबतक की वह शर्मनाक हार ही कही जाएगी। वह एकदम तीसरे स्थान पर धकेल दिए गए थे। हालांकि तब ओमप्रकाश सिंह की उस राजनीतिक दुर्गति का मुख्य कारण बसपा उम्मीदवार रहे अतुल राय को माना गया था। जहां कुल पड़े वोटों का 35.67 फीसद हिस्सा लेकर सुनीता सिहं पहले स्थान पर पहुंच गई थीं। वहीं 31.37 फीसद वोट के साथ अतुल राय दूसरे स्थान पर थे जबकि ओमप्रकाश सिंह मात्र 23.01 फीसद वोट पर ही रह गए थे। जाहिर था कि अतुल राय ने ओमप्रकाश सिंह के मुस्लिम वोट बैंक में ठीक से हिस्सेदारी कर ली थी। रही सही कसर सुनीता सिंह ने उनके राजपूत वोट काट कर पूरी कर दी थी।

यह भी पढ़ें—विधायक की यह कैसी संवेदना

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