एमएलसी चुनावः फिर आमने-सामने होंगे सानंद और चंचल !

गाजीपुर। विधान परिषद की स्थानीय निकाय सीट का चुनाव समय पर होगा। निर्वाचन आयोग की तैयारियों से ऐसा ही लग रहा है। निकायवार मतदाता सूची तैयार करा ली गई है। स्थानीय निकाय के मौजूदा एमएलसीगण का कार्यकाल अगले साल सात मार्च को खत्म होगा। इसके पहले ही निर्वाचन आयोग चुनाव प्रक्रिया पूरी करा लेने की तैयारी में है। राजनीतिक दल भी इसकी तैयारी में जुट गए हैं।
गाजीपुर में पिछली बार की तरह इस बार का भी चुनाव कम रोचक नहीं होगा और मुकाबला भाजपा तथा सपा के ही बीच होगा। तब यह भी लगभग तय है कि भाजपा मौजूदा एमएलसी विशाल सिंह चंचल पर ही दांव लगाएगी जबकि सपा इस सीट पर कब्जा करने के लिए पूरा दमखम दिखाएगी। इसके लिए पार्टी दमदार और दामदार उम्मीदवार टटोलना भी शुरू कर दी है। पार्टी में इस सीट के कई दावेदार हैं। पूर्व एमएलसी डॉ.कैलाश सिंह, जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन रामधारी यादव इनमें प्रमुख हैं लेकिन खबर है कि पार्टी सुप्रीमो को अंदाजा है कि भाजपा से यह सीट छीनने के लिए दमदार, दामदार उम्मीदवार उतारना होगा। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव इस बाबत खुद गाजीपुर के अपने वरिष्ठ नेताओं पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह, पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह, पूर्व एमएलसी काशीनाथ यादव, डॉ.सानंद सिंह वगैरह से चर्चा भी कर चुके हैं।
मालूम हो कि डॉ.सानंद पार्टी के टिकट पर पिछला चुनाव पूरी दमदारी, दामदारी से लड़े थे। तब पार्टी की प्रदेश में सरकार थी लेकिन स्थानीय स्तर पर हालात उनके बिल्कुल विपरीत बनते चले गए थे। पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह उनके पक्ष में अकेले अपने पूरे दमखम और ईमानदारी के साथ लगे थे जबकि अन्य नेताओं में ज्यादतर भीतरघात किए या आखिर तक उदासीन बने रहे।
उधर सपा से ही बगावत कर निर्दल मैदान में उतरे विशाल सिंह चंचल को भाजपा, बसपा ने प्रत्यक्ष, अप्रत्यक्ष रूप से थाम लिया था। फिर अंसारी बंधुओं ने भी खुलकर उनका साथ दिया था। बल्कि सांसद अफजाल अंसारी ने एक तरह से चंचल के चुनाव अभियान की कमान ही संभाल ली थी। बावजूद डॉ. सानंद सिंह ने कड़ी टक्कर दी थी। वह मात्र 65 वोट से पिछड़े थे। चंचल को कुल 1186 वोट मिले थे जबकि डॉ.सानंद सिंह 1121 पर ही रह गए थे।
उसके बाद के राजनीतिक घटनाक्रम भी कम चौंकाने वाले नहीं थे। विशाल सिंह चंचल बतौर एमएलसी बकायदा भाजपा में शामिल हो गए और उधर अपने भितरघातियों पर कार्रवाई के बजाए सपा की तत्कालीन सरकार की कृपा से लालबत्ती तक मयस्सर हो गई थी।
खैर हैरानी नहीं कि डॉ.सानंद सिंह के पिछले चुनाव के शानदार प्रदर्शन को देखते हुए सपा इस बार भी उन्हीं पर दांव लगाए। तब यह भी संभव हो कि डॉ.सानंद सिंह खुद सीधे अथवा किन्हीं माध्यमों से पार्टी मुखिया को पिछले चुनाव के भीतरघात के अनुभव की याद दिलाते हुए उनसे इस बात का भरोसा लेना चाहेंगे कि उनको दोबारा उस हालात से जूझना न पड़े।