जंगीपुरः दो सगे भाइयों की दावेदारी, एक बसपा तो दूसरे की भाजपा से तैयारी!

गाजीपुर। राजनीति में कहन और लेखन के मतलब ढूंढे जाते हैं। अखबारों में ऐन दीपावली पर शुभकामना के आए एक विज्ञापन ने राजनीतिक हलके में कयासबाजी शुरू करा दी है।
यह विज्ञापन जिला पंचायत चेयरमैन सपना सिंह के पति पंकज सिंह चंचल का है। विज्ञापन में उन्हीं की फोटो पर फोकस है। फोटो के कैप्सन में उनके नाम के नीचे 376, जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र, गाजीपुर अंकित है और यही राजनीतिक हलके में चर्चा का विषय बन गया है।
दरअसल, पंकज सिंह चंचल के अग्रज डॉ.मुकेश सिंह उसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने के ऐलान के साथ ही अपना प्रचार अभियान भी शुरू कर चुके हैं। पहले वह भी भाजपा में अपने लिए संभावनाएं तलाशे लेकिन संभवतः बात बनते न देख वह बसपा से टांका भिड़ा लिए। हालांकि अभी तक इसकी आधिकारिक घोषणा न बसपा न खुद उनकी ओर से की गई है लेकिन दोनों ओर से मिल रहे संकेत इसकी पुष्टि जरूर कर रहे हैं। जहां डॉ.मुकेश ने अपनी गाड़ी से भाजपा का झंडा उतार दिया है और सोशल मीडिया पर तीज-त्यौहार और महापुरुषों की जयंती, पुण्यतिथि पर जारी उनके संदेशों में भी भाजपा का झंडा, चुनाव निशान कमल का फूल नहीं दिख रहा है। बावजूद अपने अभियान में वह रसड़ा (बलिया) के बसपा विधायक उमाशंकर सिंह का गुणगान करते हुए जनता से जंगीपुर क्षेत्र को उसी तरह विकसित करने का वादा कर रहे हैं। बताते हैं कि उमाशंकर सिंह ही बसपा में उनके लिए गुंजाइश बनाए हैं।
उधर बसपा हाईकमान ने शुरू में जंगीपुर के लिए पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा को हरी झंडी दी थी लेकिन चर्चा है कि डॉ.मुकेश सिंह के सटने के बाद बसपा की ओर से उन्हें साफ-साफ कह दिया गया है कि जंगीपुर की अपनी दावेदारी वह छोड़ दें। अगर चुनाव लड़ना ही चाहते हैं तो गंगा पार जमानियां का रुख करें।
बहरहाल, अब मूल बात पर आया जाए। पंकज सिंह चंचल का विज्ञापन। विज्ञापन में जंगीपुर विधानसभा क्षेत्र का जिक्र होना भूल अथवा त्रुटी नहीं मानी जा सकती। तब क्या वाकई पंकज जंगीपुर सीट के लिए भाजपा से अपनी दावेदारी को लेकर गंभीर हैं लेकिन यह भी सच है कि न वह कतई अपने ही बड़े भाई के मुकाबिल होना चाहेंगे और न भाजपा ही अपने समीकरण के हिसाब से ऐसी नौबत आने देगी। ऐसे में यह भी संभव हो कि किन्हीं सियासी पेशबंदी के तहत वह विज्ञापन दिया गया हो।
…पर जंगीपुर में हर बार बसपा का अगड़ा कार्ड फेल रहा
नए परिसीमन के बाद वजूद में आई जंगीपुर विधानसभा सीट के लिए पहला चुनाव साल 2012 का था। बसपा इं.मनीष पांडेय को लड़ाई। फिर 2017 के चुनाव में भी उन्हीं पर दाव लगाई लेकिन बात नहीं बनी। हकीकत यही है कि यह सीट पिछड़ा बाहुल्य है। वहां किस्मत आजमा चुके अन्य उम्मीदवारों के अनुमानित आंकड़े पर यकीन किया जाए तो यादव तथा अनुसूचित जाति के लगभग बराबर 75-75 हजार वोटर हैं और मौर्यवंशी 35 हजार, राजभर 25 हजार, बिंद 15 हजार, चौहान 15 हजार, मुसलमान 15 हजार के अलाव वैश्य तथा अगड़ी जाति के कुल करीब 35 हजार वोटर हैं। शेष में अन्य जाति के वोटर हैं। शायद यही वजह रही होगी कि बसपा शुरू में बतौर उम्मीदवार पूर्व विधायक का नाम आगे बढ़ाई लेकिन अब जबकि अपने परंपरागत यादव वोटर के साथ ही मुसलमानों की पहली पसंद बनने और सुभासपा से गठजोड़ के बाद राजभरों के वोट के बूते जंगीपुर सीट पर सपा अपनी बढ़त पक्की मानकर हैट्रिक लगाने का पार्टी नेता दावा भी करने लगे हैं। उस दशा में बसपा का फिर अगड़ा कार्ड कितना कारगर होगा। यह तो वक्त आने पर पता चलेगा।