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वाकई ! यह चुनाव नतीजा 2024 के लोकसभा चुनाव का रुझान

गाजीपुर। प्रदेश में भाजपा की सरकार प्रचंड बहुमत से लौट आई लेकिन गाजीपुर के भाजपा समर्थकों को यह चुनाव नतीजे सन्न करने वाले हैं। तब  यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या वाकई में यह नतीजा 2024 के लोकसभा चुनाव का रुझान है।

गाजीपुर की सभी सात विधानसभा सीटों पर सपा गठबंधन की जीत हुई है। इस नतीजे को लेकर सपा गठबंधन के लोग उत्साहित हैं। बल्कि वह इस नतीजे को 2024 के लोकसभा चुनाव का रुझान मान रहे हैं। हालांकि सपा गठबंधन के लोगों के इस उत्साह को अति उत्साह मानकर अनदेखा, अनसुना किया जा सकता है लेकिन गाजीपुर की चुनावी सियासत की थोड़ी बहुत समझ रखने वाले भी इस बात को खारिज नहीं कर रहे कि भाजपा इस विधानसभा चुनाव में भी टिकटों का बंटवारा उसी हिसाब से की थी कि 2024 के लोकसभा चुनाव को साधा जा सके।

याद किया जाए तो पिछले विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही हुआ था। तब गाजीपुर के तत्कालीन सांसद रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा की सिफारिश पर भाजपा का टिकट बंटा था। तब मनोज सिन्हा की सजाई गई वह ‘फिल्डिंग’ बहुत हद तक कामयाब रही थी। गाजीपुर की कुल सात में तीन पर भाजपा की जीत हुई थी और दो पर भाजपा की सहयोगी रही सुभासपा काबिज हुई थी। बावजूद मनोज सिन्हा 2019 का लोकसभा चुनाव हार गए थे।

मौजूदा वक्त में मनोज सिन्हा जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल हैं लेकिन गाजीपुर की चुनावी राजनीति में उनकी दिलचस्पी से शायद ही कोई इन्कार करे। बल्कि कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा के टिकट बंटवारे में मनोज सिन्हा की ही चली और उनका लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। ऐसा कहने वाले विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान मनोज सिन्हा का कई दिनों तक वाराणसी प्रवास और गाजीपुर आकर प्रमुख मंदिरों में उनके दर्शन-पूजन को मात्र संयोग नहीं मानते। सपा ने तो ऐन चुनाव अभियान के वक्त श्री सिन्हा के बार-बार गाजीपुर आने की शिकायत निर्वाचन आयोग से कर दी थी।

…तब अतुल राय भी भाजपा की हार के एक फैक्टर !

वैसे तो भाजपा नेतृत्व गाजीपुर में अपनी शर्मनाक हार के कारणों पर मंथन कर ही रहा होगा लेकिन कुछ लोग सांसद घोसी अतुल राय को भी एक कारण मान रहे हैं। इनकी दलील है कि कथित रेप के मामले में फंसे सांसद अतुल राय पुलिस विवेचना में क्लीन चिट मिलने के बाद भी जेल में पड़े हैं और इसके पीछे मनोज सिन्हा का बेजा दबाव है। इसको लेकर भूमिहार बिरादरी में नाराजगी है और इसका खामियाजा इस विधानसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ा है। इसका प्रमाण गाजीपुर समेत बलिया तथा मऊ की उन विधानसभा सीटों पर भाजपा की हार है, जहां भूमिहार वोटर निर्णायक भूमिका में हैं।

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