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अपराधब्रेकिंग न्यूज

दबोचे गए चार तस्कर, तीन करोड़ की हेरोइन बरामद

गाजीपुर। पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। हेरोइन के अंतरप्रातीय तस्कर गैंग के नेटवर्क का खुलासा कर सरगना समेत गैंग के कुल चार लोगों को दबोचा गया। उनके कब्जे से हेरोइन का करीब तीन किलो बेस, केमिकल और दो लग्जरी गाड़ियां बरामद हुईं। हेरोइन के बरामद बेस की अंतरराष्ट्रीय कीमत करीब तीन करोड़ रुपये आंकी गई है।

पुलिस कप्तान रामबदन सिंह ने गिरफ्तार तस्करों को शुक्रवार की दोपहर अपने ऑफिस में मीडिया के सामने पेश किया। बताए कि इनकी गिरफ्तारी गुरुवार की देर शाम बिलैचिया तिराहे के पास मुखबिर की सूचना पर हुई। गिरफ्त में आया गैंग का सरगना जैनेंद्र राम उर्फ मुन्ना शहर कोतवाली के बवेड़ी गांव का रहने वाला है जबकि पकड़े गए गैंग के सदस्यों में विनय कुमार उर्फ बिट्टी सरगना मुन्ना का रिश्ते में साला है। वह चकफरीद थाना नोनहरा का है। तीसरा प्रेमचंद भारती शहर कोतवाली के सकरताली गांव का है और चौथा अमित कुमार मिश्र उर्फ सोनू जौनपुर जिले के जफराबाद थानानंतर्गत देवतली का निवासी है।

उनके कब्जे से बरामद लग्जरी गाड़ियों में एक गैंग सरगना जैनेंद्र राम तथा दूसरी उसकी पत्नी सीमा देवी के नाम है। पुलिस कप्तान ने बताया कि यह गैंग अफीम असम से लाता था और गाजीपुर में अपने ठिकाने पर उससे हेरोइन तैयार कर असम तथा मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में आपूर्ति करता था। पुलिस से बचने के लिए गैंग में कैरियर की भूमिका निभाने वाले सड़क मार्ग का इस्तेमाल करते। उसके लिए बसों से कई किश्तों में वह यात्रा करते जबकि गैंग का सरगना रुपये के लेनदेन का काम खुद करता था और वह हवाई मार्ग से आता-जाता था।

एक सवाल पर पुलिस कप्तान ने बताया कि गैंग के सरगना जैनेंद्र उर्फ मुन्ना तथा विनय कुमार उर्फ बिट्टी इसके पहले भी 2015 में गाजीपुर की सुहवल पुलिस के हाथों मय हेरोइन पकड़े गए थे। करीब 22 माह जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर आकर फिर तस्करी में लिप्त हो गए थे। पुलिस कप्तान ने बताया कि यह पुलिस की बड़ी कामयाबी है। इस कार्रवाई में शामिल पुलिस टीम को अपनी ओर से नकद ईनाम देने की उन्होंने घोषणा की। टीम में शहर कोतवाल विमलेश कुमार मौर्य, गोराबाजार पुलिस चौकी इंचार्ज अरूण कुमार मिश्र, स्वाट टीम इंचार्ज राकेश कुमार सिंह वगैरह शामिल रहे।

अकूत धन और राजनीतिक ओहदा चाहता था जैनेंद्र

गैंग के सरगना जैनेंद्र की दिली ख्वाहिश थी कि हेरोइन की तस्करी से अकूत कमाई करे और राजनीति में कोई ओहदा हासिल करे। उसके दिवंगत पिता रामनाथ राम रेलवे के प्रबंधन वाले स्कूल में शिक्षक थे। उसके गांव बवेड़ी के लोगों ने बताया कि जैनेंद्र में शुरू से धन कमाने की हवस थी और जब तस्करी से उसके पास रुपये आए तो वह कीमती भूखंडों की खरीद-फरोख्त का काम भी शुरू कर दिया। उससे भी उसकी कमाई बढ़ी तो उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा जागी। उसकी ख्वाहिश थी कि वह राजनीति में किसी ओहदे पर बैठ जाए ताकि पुलिस उसके अरदब में आए और वह अपना कारार बेखौफ करता रहे। राजनीति की शुरुआत के लिए उसने बीते पंचायत चुनाव से की। वह जिला पंचायत की सदर ब्लॉक की एक माकूल सीट को तज्बीज कर उस पर चुनाव की तैयारी भी शुरू कर दिया था। उसके लिए एक बड़ी पार्टी में टिकट का जुगाड़ भी बैठा लिया था मगर वह सीट पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित हो गई। तब वह अपनी ग्राम पंचायत में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित प्रधान पद पर किस्मत आजमाया। अपने चुनाव अभियान में बेहिसाब धन फूंका। बावजूद जब नतीजा आया तो वह दूसरे स्थान पर था।

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