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डीएम ने नहीं सुनी बेजा पैरवी ! घोटाले में फंसे भाजपा नेता से रिकवरी का आदेश

गाजीपुर। शायद और किसी दल की सूबे में हुकूमत होती तो उस दल का कसूरवार नेता क्या अदना कार्यकर्ता का कुछ नहीं बिगड़ता मगर हुकूमत योगी की है और कसूरवार कितना भी रसूखवाला हो। भाजपा का बड़ा नेता ही क्यों न हो। कतई बख्शा नहीं जाएगा। इसका ताजा प्रमाण मरदह ब्लॉक की ग्राम पंचायत बिहरा का बहुचर्चित घोटाला है।

घोटाले में भाजपा के जिला महामंत्री अवधेश राजभर फंसे हैं। बात इसी वित्तीय साल की है। उनकी ग्राम पंचायत में पंचायत भवन, सामुदायिक भवन के निर्माण और मनरेगा के कार्यों के लिए कुल पांच लाख साढ़े 49 हजार रुपये भेजे गए लेकिन सारे कार्य आधे-अधुरे कर तीन लाख 37 हजार 373 रुपये की धनराशि हड़प लिए गए। दुर्योग से तब अवधेश राजभर वहां के प्रधान थे। ब्लॉक के अधिकारियों ने उनसे सारे कार्य पूर्ण करने के लिए बार-बार कहा लेकिन जनाब सत्ता के मद में थे।

आखिर बात डीएम एमपी सिंह तक पहुंची। डीएम ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच कराई। जांच में घोटाले की पुष्टि हुई और उसमें तत्कालीन ग्राम प्रधान अवधेश राजभर, सेक्रेटरी अनिल कुमार तथा तकनीकी सहायक जितेंद्र बहादुर की संलिप्ता सामने आई। फिर तो इन सभी के विरुद्ध मरदह के प्रभारी नवीन सिंह ने मरदह थाने में तहरीर दी।

उसके बाद शुरू हुई अवधेश राजभर को बचाने की पैरवी। पैरवी का असर हुआ कि एसएचओ मरदह एफआईआर दर्ज करने के बजाए तहरीर को फाइलों में दबा दिए। इधर भाजपा नेता अपने साथी को बचाने के लिए डीएम से आरजू-गुजारिश करने लगे। यहां तक कि एक ओहदेदार नेताजी डीएम के पास पहुंचे और अपने चुनाव का हवाला देकर अवधेश राजभर पर कार्रवाई न करने की गुजारिश किए। बताते हैं कि डीएम ने दो टूक में यह कह कर उन्हें बैरंग लौटा दिया कि एक ‘चोर’ की पैरवी सरासर गलत है और वह उनकी कुछ नहीं सुनेंगे।

फिर कार्रवाई में तेजी आ गई। मरदह थाने में एफआईआर दर्ज हुआ। लगे हाथ तत्कालीन ग्राम प्रधान से घोटाले की रकम की वसूली का फरमान जारी हो गया। तत्कालीन सेक्रेटरी सस्पेंड कर दिया गया। इस कार्रवाई से खुद भाजपा नेता सन्न हैं। वह आगे करें भी क्या। अपना ही सिक्का जो खोटा है।

डीएम की इस कार्रवाई का संदेश जिले भर के ग्राम प्रधानों तक पहुंचा है। गैर भाजपा समर्थक ग्राम प्रधान तो और सहम गए हैं कि जब भाजपा के जिला स्तरीय बड़े नेता का यह हाल है तो वह जब ऐसे मामले में फंसे तो उन्हें बचाने कौन आएगा। इस कार्रवाई से खुद भाजपा नेता सन्न हैं। वह आगे करें भी क्या। अपना ही सिक्का जो खोटा है।

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