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जिला पंचायतः दो ‘घरानों’ की जंग में किसकी जीत और किसकी होगी हार

गाजीपुर (सुजीत सिंह प्रिंस)। यूं तो पिछले चुनाव में जिला पंचायत की सैदपुर प्रथम सीट के अभियान पर राजनीतिक प्रेक्षकों की निगाह शायद उतनी नहीं रही हो जितनी कि इस बार लगी है।

पिछली बार यह सीट अनुसूचित जाति के लिए थी और इस बार यह सीट सामान्य महिला के लिए आरक्षित है। हालांकि नामांकन के बाद ही इस सीट के उम्मीदवारों को लेकर तस्वीर पूरी तरह साफ होगी लेकिन दो की उम्मीदवारी तय है और इनका लक्ष्य सीधे जिला पंचायत के चेयरमैन की कुर्सी है। इनमें खेल जगत के ‘द्रोणाचार्य’ ठाकुर तेजबहादुर सिंह तेजू की भवह अंजना सिंह और प्रमुख शराब कारोबारी शिवशंकर सिंह की बहू सपना सिंह। अंजना सिंह के चुनाव अभियान की कमान उनके पति पूर्व सपा सांसद राधेमोहन सिंह के हाथों में है जबकि सपना सिंह का चुनाव अभियान सपना सिंह के जेठ भाजपा नेता डॉ.मुकेश सिंह संभाल रहे हैं और सपना सिंह के लिए चचाजात ससुर पूर्व ब्लाक प्रमुख रमाशंकर सिंह काटू भी अपनी पूरी ताकत झोंक दिए हैं।

रविवार को ‘आजकल समाचार’ की टीम उस इलाके में थी। टीम सैदपुर से बहरियाबाद मार्ग के रास्ते निर्वाचन क्षेत्र में घुसी और उचौरी होते हुए बिहारीगंज डगरा के रास्ते बाहर निकली। इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल 25 ग्राम पंचायतें हैं। कुल करीब 40 हजार वोटर हैं। इनमें सर्वाधिक करीब 35 फीसद यादव, 15 फीसद अनुसूचित, 12 फीसद अगड़े तथा छह फीसद मुसलमान वोटर हैं। अगड़ों में सबसे ज्यादा राजपूत हैं। हसनपुर, डहरा, चिलौना, जैनपुर, कोटिसा, तोगापुर, सिघरा, नेवादा, भटौला, सिघरा, गैबीपुर, विक्रमपुर, उचौरी, डहरा कलॉ, डहरा खुर्द आदि गांवों में मिले लोगों से यह एहसास हुआ कि राजपूत संशय में हैं। विक्रमपुर में एक राजपूत परिवार के दरवाजे पर बैठे बिरादरी के लोगों ने कहा कि उनके सामने विकट स्थिति है। भईया और चच्चा पहले से एक ही रहे हैं और चुनाव बाद भी एक हो जाएंगे। इस दशा में उनमें किसी एक के पक्ष में खुलकर आना हम बिरादरी के लिए मुनासिब नहीं रहेगा लेकिन राजपूतों के ठीक उलट यादव बिरादरी खुल गई है। उचौरी तिराहे पर एक मेडिकल स्टोर में बैठे यदुवंशी युवक ने कहा कि हमारी बिरादरी का फंडा साफ है। जिला पंचायत पर अपनी पार्टी सपा का कब्जा बरकरार रखना है और यह तभी संभव होगा जब पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह की पत्नी अंजना सिंह की जीत होगी जबकि सपना सिंह की जीत का श्रेय भाजपा अपने खाते में जोड़ लेगी। एक सवाल पर उस युवक ने यह भी कहा कि यादव बिरादरी का अगर कोई उम्मीदवार आया तो उसकी हैसियत वोट कटवा से ज्यादा की नहीं होगी और यह भी तय रहेगा कि उसके अभियान का प्रायोजक प्रतीद्वंद्वी खेमा ही होगा। उसके पूर्व कोटिसा गांव के पास से गुजर रहे एक अधेड़ बाइक सवार आग्रह पर रुके मगर अपना नाम पता नहीं बताए। ज्यादा कुरेदने पर वह यही बताए कि वह पेशे से शिक्षक और मजहब से मुसलमान हैं। चुनाव को लेकर हम मजहब के रुझान पर वह बोले-सपा को छोड़ कर मुसलमान कहीं नहीं जाएंगे।

सपा समर्थक मान रहे हैं कि सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग भी उनकी पार्टी उम्मीदवार अंजना सिंह की मुख्य प्रतिद्वंद्वी निर्दल सपना सिंह का खेमा कर रहा है। डहरा कलॉ में मिले एक सपा समर्थक ने कहा कि पुलिस पर बेजा दबाव बनाकर पार्टी नेता देवराज सिंह ठाकुर को जिला बदर उन्हीं लोगों ने कराया है।

अनवनी बाजार में एक चाय की दुकान पर मिले पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह के एक अति उत्साही समर्थक ने कहा कि काटू चच्चा पहला अपना घर संभाले तब बाहरी को सहेजें। उसने पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह के निर्माणाधीन स्कूल के पास सड़क पर खड़ी काटू सिंह के भतीजे पूर्व एमएलसी डॉ.कैलाश सिंह की गाड़ी की ओर इशारा किया। तब डॉ.कैलाश एक ओर खड़े होकर पूर्व सांसद के बेटे से गुफ्तगूं करते भी दिखे।

प्रमुख सड़कों, चौराहों, चट्टियों से गुजरने, ठहरने के बाद आखिर में आजकल समाचार की टीम इसी निष्कर्ष पर पहुंची कि ‘भईया' और ‘चच्चा' घराने को लेकर वोटरों की पालेबंदी शुरू हो गई है। भईया यानी तेजबहादुर सिंह तेजू और चच्चा मतलब पूर्व प्रमुख रमाशंकर सिंह काटू। सड़क किनारे बिजली खंभों पर टंगे और गांवों की दीवारों पर चस्पे पोस्टर भी इसकी गवाही कर रहे थे। फिर यह भी कि शिवशंकर सिंह के पैतृक गांव अहिरौली (मलिकपुर) के करीब के गांवों के लोग उनके परिवार से खुद को ‘उपकृत’ मानते हैं तो पूर्व सांसद राधेमोहन सिंह के पैतृक गांव करमपुर के अगल-बगल के गांव वाले उनके परिवार के एहसान तले दबे हैं। फिर राधेमोहन सिंह की बड़ी राजनीतिक हैसियत भी बहुतों को आकर्षित कर रही है। वह जिला पंचायत के चेयरमैन भी रह चुके हैं। उधर भाजपा इस सीट से रीता देवी को उम्मीदवार बनाई है लेकिन यही लगता है कि उनकी मौजूदगी आखिर तक औपचारिक ही रह जाएगी। फिर नतीजा मतदान पर भी निर्भर करेगा। पिछले चुनाव में कुल 36 हजार 268 वोटर थे और उनमें 56.72 फीसद ने अपने वोट डाले थे।

यह भी पढ़ें–पंचायत चुनाव: नामांकन यहां

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