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‘टक्कर’ यदुवंशियों की, कृपा ‘क्षत्रिय मठों’ की

गाजीपुर (सुजीत सिंह प्रिंस)। करंडा ब्लॉक प्रमुख के लिए भी मुकाबला कम रोचक नहीं होगा। दो यदुवंशियों में लड़ाई आमने-सामने होगी। दोनों पक्ष अपनी-अपनी गोटी बैठाने में जुट गए हैं। इसके लिए उन्हें क्षत्रियवंशीय कद्दावरों की कृपा की भी दरकार पड़ रही है। प्रमुख पद पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित है।

बीडीसी सदस्यों की कुल संख्या 72 है। दोनों पक्ष अपने लिए दो तिहाई तक बहुमत जुटा लेने का दावा कर रहा है। उनके अपने दावों में कितना दम है। यह मौका आने पर पता चलेगा लेकिन यह जरूर है कि दोनों पक्ष अपनी-अपनी फिल्डिंग सजाने में ‘क्षत्रिय वंशीय कप्तानों’के निर्देशन की जरूरत महसूस कर रहे हैं।

एक पक्ष से आशीष यादव और दूसरे पक्ष से शीला यादव हैं। आशीष यादव की मां रजवंती देवी 2010 में ब्लॉक प्रमुख चुनी गई थीं। इनके दिवंगत पिता अमरनाथ यादव का नाम पुलिस फाइलों में कुख्यात हेरोइन तस्कर के रूप में दर्ज रहा है। उधर शीला यादव के पति जितेंद्र यादव कारोबारी हैं।

आशीष यादव के लिए पूर्व ब्लॉक प्रमुख धनंजय सिंह लगे हैं। उनकी अगुवाई में नवनिर्वाचित बीडीसी सदस्य‘मैनेज’ किए जा रहे हैं जबकि शीला यादव के पति जितेंद्र यादव संग निवर्तमान ब्लॉक प्रमुख राजेश सिंह रिंकू कदम ताल कर रहे हैं। धनंजय सिंह खुद रिंकू सिंह के गांव बसंत पट्टी से बीडीसी का चुनाव लड़े थे लेकिन एक नौसिखिये के हाथों हार गए। उधर उनके भांजे पवन सिंह की भी लखनचंदपुर से बीडीसी में पहुंचने की साध पूरी नहीं हुई।

सर्वविदित है कि करंडा क्षेत्र की राजनीति में एक ‘डीह’ जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन अरुण सिंह भी हैं। खासकर वहां की पंचायती राजनीति में उनको खारिज नहीं किया जा सकता। अरुण सिंह आशीष यादव के पिता अमरनाथ यादव की हत्या के आरोप में इन दिनों नैनी जेल में निरुद्ध हैं। स्वाभाविक है कि अरुण सिंह के लोग आशीष यादव के नाम पर ‘तोबा-तोबा' करेंगे लेकिन यह नहीं मालूम कि शीला यादव के पति जितेंद्र सिंह ने सीधे अरुण सिंह का आशीर्वाद हासिल हुआ है या नहीं।

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