बसपाः सदर सीट पर डॉ.राजकुमार गौतम!

गाजीपुर। बसपा विधानसभा की सदर सीट पर पूर्व विधायक डॉ.राजकुमार गौतम को फिर मौका देगी! पार्टी में प्रमुखता से यह चर्चा है। डॉ.गौतम के नाम पर नीचे के कार्यकर्ताओं में भी स्वीकारोक्ति दिख रही है।
दरअसल, डॉ.गौतम पार्टी के लिए टेस्टेड हैं। पार्टी पहली बार उन्हें 2007 में जमानियां से लड़ाई थी। वह पार्टी की उम्मीदों पर खरे उतरे थे। उसके बाद विधानसभा क्षेत्रों का नए सिरे से परिसीमन हुआ। उसमें डॉ.गौतम का गृह ब्लॉक करंडा जमानियां विधानसभा क्षेत्र से कट कर सदर विधानसभा क्षेत्र में शामिल हो गया। लिहाजा 2012 के चुनाव में पार्टी उनको सदर सीट पर ले आई। पार्टी की अपेक्षा के अनुरूप ही उनका प्रदर्शन रहा। वह सपा के विजय मिश्र से मात्र 241 वोट से पिछड़ गए थे। उनके खाते में कुल 49 हजार 320 वोट दर्ज हुए थे जबकि विजय मिश्र 49 हजार 561 वोट पाए थे। वह भी तब जब डॉ. गौतम की बिरादरी राजपूत के वोटों में भाजपा के अरुण सिंह ने ठीक से बंटवारा कर लिया था। अरुण सिंह 41 हजार 567 वोट लेकर तीसरे स्थान पर थे।
हालांकि नीचे के कार्यकर्ताओं के लिए सदर सीट पर भले डॉ.गौतम स्वीकार्य हों और जीत की गारंटी हों लेकिन एक पेंच यह है कि उधर पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जंगीपुर सीट से डॉ.मुकेश सिंह का नाम न सिर्फ फाइनल कर चुका है बल्कि 18 दिसंबर को इसकी आधिकारिक घोषणा की भी तैयारी है। उस दशा में एक जिले में एक साथ दो राजपूत नेताओं को लड़ाना पार्टी नेतृत्व के लिए शायद गंवारा हो।
वैसे सदर सीट के लिए पार्टी में एक नाम और चर्चा में है। वह नाम इंदूबाला बिंद का लेकिन चुनावी गणित की समझ रखने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं का कहना है कि इंदूबाला बिंद की उम्मीदवारी पर जीत की बात तो दूर मुख्य मुकाबले में आना भी पार्टी के लिए मुश्किल ही रहेगा। इसकी मुख्य वजह राज्य सहकारिता मंत्री डॉ.संगीता बलवंत होंगी। एक तो वह बिंद बिरादरी से आती हैं। दूसरे लगभग तय है कि सदर सीट पर भाजपा दोबारा उन्हीं पर दाव लगाएगी।
बहरहाल, पिछले चुनावों का अनुभव यही है कि बसपा का शीर्ष नेतृत्व टिकट आवंटन में नीचे के कार्यकर्ताओं की सोच, समझ और आकलन पर गौर नहीं करता बल्कि ऐन मौके पर अपनी थोपता है। लिहाजा सदर सीट से पार्टी किसे लड़ाएगी। यह तभी पता चलेगा।