बहुत खूब! सामुदायिक भवन को पंचायत भवन बताए और कर दिए नीलाम

गाजीपुर (सुजीत सिंह प्रिंस)। ‘राग दरबारी’ वाला हाल है। अफ़सर चाहें तो तिल को ताड़ बना दें या पहाड़ को राई। बस उन्हें माया का लाभ दिखना चाहिए। ऐसा ही कुछ करंडा ब्लॉक की ग्राम पंचायत अलीपुर बनगांवा में हुआ है। ग्राम पंचायत का पंचायत भवन पहले से ही ध्वस्त है। सामुदायिक मिलन भवन ठीकठाक़ हाल में था। वर्तमान प्रधान, ग्राम सचिव और पंचायत अधिकारियों ने मिलकर ऐसा कारनामा किया कि अच्छे ख़ासे सामुदायिक मिलन भवन को पंचायत भवन बता कर ध्वस्त करा दिया।
काग़ज़ों में पंचायत भवन और सामुदायिक मिलन भवन साफ़-साफ़ उल्लिखित है और दोनों के बीच फ़ासला भी एक किलोमीटर से ज़्यादा का है। फिर भी अफ़सरों की ऐसी आंखें अंधी हुईं कि उन्हें सामुदायिक भवन की स्वस्थ बिल्डिंग पंचायत भवन की जर्जर बिल्डिंग के रूप में नज़र आने लगी।
प्रधान पक्ष के कई लोगों ने सामुदायिक भवन को पंचायत भवन बता दिया और अफ़सर महोदय भरपेट नाश्ते के बाद यही बात काग़ज़ में लिख कर ले गए। इस तरह बकरी को गदहा घोषित कर क़त्लखाने में भेज दिया गया। अर्थात सामुदायिक भवन को पंचायत भवन घोषित कर उसे पहले नीलाम कराया गया। नीलामी भी प्रधानजी ने उठा ली। सत्तर हज़ार रुपये में सामुदायिक भवन के ईंट-पत्थर, छड़ इत्यादि का सौदा हुआ। फिर इसे पंचायत भवन बता कर गिरा दिया गया।
सामुदायिक मिलन केंद्र का निर्माण ग्राम विकास विभाग ने कराया है और पंचायत भवन का काम पंचायती राज विभाग कराता है। अबकी पंचायती राज विभाग ने ग्राम विकास विभाग के निर्माण को ही अवैध रूप से अपना घोषित कर गिरवा दिया।
उल्लेखनीय है कि अलीपुर बनगांवा में दो पुरवा है। ठाकुर पुरवा में पंचायत भवन था जो कब का ध्वस्त हो चुका है और उसका नामों निशान शेष नहीं है। ब्राह्मण पुरवा में सामुदायिक भवन है जो स्वस्थ हालत में था। इस सामुदायिक भवन को पंचायत भवन बता कर जमींदोज कर दिया गया है। इस खेल में पंचायती विभाग के अफ़सर शामिल हैं।
गांव के पूर्व प्रधान राम निवास सिंह और अन्य ग्रामीणों ने लगातार लिखित शिकायत दर्ज कराई पर अफ़सर लोग माया के आगे अंधे हो चुके थे। इसलिए उन्हें कुछ न दिखाई पड़ा। ग्रामीणों ने नए सिरे से शिकायती पत्र ज़िलाधिकारी के नाम भेजा है। देखना है राग दरबारी का यह चैप्टर कौन सा मोड़ अख़्तियार करता है।