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भाजपाः जहूराबाद में कहां फंसा पेंच

गाजीपुर।…जब गाजीपुर की छह विधानसभा सीटों पर भाजपा की उम्मीदवारी घोषित हो चुकी है तो अकेले जहूराबाद की उम्मीदवारी ही क्यों अटकी है। पेंच कहां फंसा है। कैसे फंसा है।

तब क्या पार्टी के धुर विरोधी सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को घेरने की रणऩीति में यह पेंच फंसा है। श्री राजभर इस सीट पर अपने गठबंधन के उम्मीदवार हैं और भाजपा को हर हाल में सत्ता से बहरियाने का दम भर रहे हैं। अपने इस मुद्दे को लेकर वह काफी मुखर हैं। जाहिर है भाजपा अपनी ओर से उन्हें घेरने की पूरी कोशिश करेगी। इसका एहसास श्री राजभर को भी है। पहले वह वाराणसी की शिवपुर सीट से खुद और जहूराबाद से अपने बेटे डॉ.अरविंद राजभर को लड़ाने की बात कहे थे लेकिन शिवपुर में भाजपा के आगे अपनी हालत पतली देख पलटी मारकर वह जहूराबाद से ही लड़ने का ऐलान कर दिए।

इस दशा में भाजपा के सामने यह सवाल है कि राजभर बाहुल्य इस सीट पर ओमप्रकाश राजभर को घेरने के लिए कौन चेहरा उतारा जाए। हालांकि उसके टिकट के दावेदारों की लंबी फेहरिस्त है। उनमें अकेले राजभर बिरादरी से ही पूर्व विधायक कालीचरण राजभर, पूर्व प्रत्याशी नंदा राजभर, जयप्रकाश राजभर हैं। उधर बसपा बुझारत राजभर को टिकट दी है। तय है कि वह राजभर वोट में हिस्सेदारी करेंगे। उस स्थिति में माना जा रहा है कि भाजपा किसी राजभर नेता को टिकट देने से परहेज करेगी।

तब क्या किसी चौहान बिरादरी से किसी नेता को भाजपा आगे लाएगी। जहूराबाद में चौहान बिरादरी का वोट भी कम नहीं है। उनमें राज्य पिछड़ा वर्ग के उपाध्यक्ष प्रभुनाथ चौहान प्रमुख हैं लेकिन जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र की राजनीति पर नजर रखने वालों का मानना है कि किसी पिछड़े की जगह अगड़े नेता को टिकट देकर अपने मतलब को साधने की गुंजाइश भाजपा सहजता से बना सकती है। अगड़ों में ब्राह्मण नेता जितेंद्र नाथ पांडेय, श्यामराज तिवारी हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि पार्टी उन्हें टिकट देती है तो भाजपा गाजीपुर की सभी सीटों पर अपना जातीय समीकरण का संतुलन भी बना सकती है। शेष किसी भी सामान्य सीट पर ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया गया है। वैसे कई राजपूत नेता भी टिकट के दावेदारी की कतार में हैं। उनमें पूर्व प्रत्याशी नरेंद्र सिंह, रामप्रताप सिंह पिंटू, जिला पंचायत सदस्य राजकुमार सिंह झाबर, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अनुराग सिंह का नाम प्रमुख है।

हालांकि उम्मीदवार की घोषणा विलंबित होने से यह भी चर्चा शुरू हो गई है कि भाजपा यह सीट अपनी सहयोगी निषाद पार्टी के लिए छोड़ सकती है। तब निषाद पार्टी तय करेगी कि वह किसे टिकट देगी। चर्चा यहां तक है कि सपा के कुछ इलाकाई बड़े नेता निषाद पार्टी के संपर्क में आ भी गए हैं।

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