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कुशवाहा ब्रदर्स पर फिर बड़ी कार्रवाई, करोड़ों का भूखंड जब्त

गाजीपुर। प्रशासन ने कुख्यात शिक्षा माफिया कुशवाहा ब्रदर्स के विरुद्ध फिर बड़ी कार्रवाई की। शुक्रवार की सुबह उनके भूखंड को जब्त कर लिया। यह कार्रवाई गैंगस्टर एक्ट के तहत हुई। भूखंड की कीमत करीब सात करोड़ रुपये आंकी गई है। सदर तहसील के परगना छावनी लाइन स्थित उस भूखंड को राजेंद्र कुशवाहा के बेटे रमेश कुशवाहा के नाम पर छह साल पहले खरीदा गया था और उसमें आलू की बुवाई हुई थी।

भूखंड की जब्ती का आदेश डीएम एमपी सिंह ने गुरुवार को दिया था। उसके बाद एसडीएम सदर अनिरुद्ध प्रताप सिंह, सीओ सिटी ओजस्वी चावला की अगुवाई में राजस्व तथा पुलिस फोर्स सुबह मौके पर पहुंची और बकायदा मुनादी के साथ जब्ती की कार्रवाई की। शिक्षा माफिया कुशवाहा ब्रदर्स छावनी लाइन के ही रघुनाथपुर के रहने वाले हैं।

मालूम हो कि पिछले साल अगस्त में राजेंद्र कुशवाहा के भाई पारस कुशवाहा के प्रबंधन वाले शिक्षण संस्थान बुद्धम शरणम इंटर कॉलेज, ग्लोरियस पब्लिक स्कूल आदर्श गांव छावनी लाइन के अलावा फतेउल्लाहपुर डिग्री कॉलेज की बिल्डिंग और दस भूखंड और छह बाइक, चार लग्जरी वाहन कुर्क किए गए थे। वह कार्रवाई भी गैंगस्टर एक्ट के तहत हुई थी। उन संपत्तियों की कीमत 12 करोड़ 31 लाख 59 हजार रुपये आंकी गई थी।

…और ऐसे फर्श से अर्श तक पहुंचे कुशवाहा ब्रदर्स

मूलतः छावनी लाइन के ही रघुनाथपुर निवासी शिक्षा माफिया कुशवाहा ब्रदर्स की अकूत संपत्ति के मालिक बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। करीब ढाई दशक पहले तक उनके परिवार की दशा काफी पतली थी लेकिन परिवार की किस्मत का ताला तब खुला जब प्रदेश में पहली बार बसपा की मायावती मुख्यमंत्री बनीं और जमानियां के तत्कालीन विधायक जयराम कुशवाहा उस सरकार में शिक्षा मंत्री बने। पारस का बड़ा भाई महेंद्र कुशवाहा उनका करीबी था। शिक्षा मंत्री की पहुंच और प्रभाव के बूते उसने अपने परिवार के प्रबंधन में शिक्षा संस्थान की नींव डाली। उसके बाद परिवार कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। परिवार को पता चल चुका था कि तरक्की में सियासी ताल्लुकात काम आते हैं। सो उन्होंने अपने ही गांव के रहने वाले स्वजातीय नेता पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा के विरोधी नेताओं का साथ पकड़ा। उसका उसे लाभ भी मिला। भाजपा के तत्कालीन एमएलसी ब्रजभूषण कुशवाहा की निधि से विद्यालय के लिए रकम लिया। तो सपा सरकार के तत्कालीन मंत्री कैलाश यादव का संरक्षण भी प्राप्त किया और अपने शिक्षण संस्थानों के विस्तार में जुट गया। फिर परीक्षा में नकल की सुविधा मुहैया कराकर मनचाहे परिणाम दिलाने का ठेका लेने लगा। पहली बार उनके रैकेट के काले कारनामे साल 2016 में तब सामने आए जब पॉलिटेक्निक की प्रदेश स्तर पर हुई संयुक्त प्रवेश परीक्षा में उसके विद्यालय केंद्र के एक ही कमरे के 12 छात्र प्रदेश में टॉप किए। मीडिया में यह बात उछलने के बाद संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद का ध्यान इस ओर गया। जांच हुई और पूरा खेल सामने आ गया। उसके विद्यालय परीक्षा केंद्र के सभी 28 छात्रों की प्रवेश परीक्षा निरस्त कर दी गई। उस मामले में पारस कुशवाहा सहयोगियों संग जेल गया। उनके खिलाफ गैंगस्टर के तहत कार्रवाई हुई। बावजूद कुशवाहा ब्रदर्स सुधरे नहीं। उनके विद्यालय बुद्धम शरणम् इंटर कॉलेज में हुई टेट परीक्षा में सामूहिक नकल पकड़ी गई। यह कार्रवाई एसटीएफ की वाराणसी यूनिट ने की थी। तब एक बार फिर पारस को जेल जाना पड़ा था। कुशवाहा ब्रदर्स को करीब से जानने वालों की मानी जाए तो उनके लिए अपने स्वार्थ की पूर्ति में धर्म, नाते-रिश्ते, मित्रता की बात बेमानी है। महेंद्र कुशवाहा ईसाई धर्म कबूल कर वाराणसी के कटिंग मेमोरियल इंटर कॉलेज में बतौर शिक्षक है। कुशवाहा ब्रदर्स कुल सात भाई हैं लेकिन अपने स्वार्थ खातिर वह अन्य भाइयों से हाड़ बराते हैं। बताते हैं कि कुशवाहा ब्रदर्स की निगाह शिक्षक रामधारी कुशवाहा के कीमती और मौके के भूखंड पर पड़ी। उसके लिए कुशवाहा ब्रदर्स ने उनसे पहले दोस्ती गांठी। फिर अपने मतलब की बात की लेकिन रामधारी कुशवाहा ने मना कर दिया तब उन लोगों ने उनको मानसिक यंत्रणा देनी शुरू की। उससे भी रामधारी कुशवाहा नहीं डिगे तो चार मई 2016 को हत्या के इरादे से उन पर गोली दागे। वह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उनके खौफ से रामधारी कुशवाहा गांव छोड़कर अब मय परिवार लखनऊ में रहते हैं। कुशवाहा ब्रदर्स के पास जब अकूत संपत्ति आई तब खुद सियासत करने का फितूर शुरू किए। साल 2010 के पंचायत चुनाव में अपनी ग्राम पंचायत पर कब्जा जमा लिए। हालांकि बाद के चुनाव में गांव की प्रधानी उन्हें छोड़नी पड़ी।

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