सपा में अंसारी परिवार का ‘कंटक’ साफ, पप्पू राय पार्टी से बाहर

गाजीपुर। अंसारी परिवार के लिए अपने मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र में सपा में अब कोई रोड़ा नहीं रह गया है। क्षेत्र के वरिष्ठ नेता राजेश राय पप्पू को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पार्टी विरोधी गतिविधियों में संलिप्तता के आरोप में उन्हें पार्टी से निकाला गया है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के आदेश पर प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने बुधवार को यह कार्रवाई की।
अंसारी परिवार पप्पू राय को मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ा रोड़ा मानता था। देखा जाए तो पप्पू राय और उनके परिवार की अंसारी परिवार से शुरू से सियासी अदावत रही है। 2007 के विधानसभा चुनाव के बाद जब अंसारी परिवार मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र में सपा संगठन को एक तरह से निहंग कर बसपा का दामन थाम लिया था तब पप्पू राय ने सपा संगठन को नए सिरे से खड़ा किया। निष्ठावान कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया। पार्टी के लिए उनके उस योगदान और समर्पण को देखते हुए 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा उन्हें टिकट दी। हालांकि वह तत्कालीन विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी से हार गए थे। बावजूद मुहम्मदाबाद विधानसभा क्षेत्र में सपा को मजबूत करने में वह लगे रहे। 2017 के चुनाव में सपा ने गठजोड़ में मुहम्मदाबाद सीट कांग्रेस के लिए छोड़ दी थी जबकि इस बार के विधानसभा चुनाव में भी वह टिकट के दावेदार थे लेकिन उसके पहले ही पूर्व विधायक सिबगतुल्लाह अंसारी अपने पुत्र सुऐब अंसारी मन्नू संग सपा में शामिल हो गए। तब पप्पू राय ने खुले तौर पर तो नहीं लेकिन भितर से उनका विरोध शुरू कर दिया। उनके करीबी नेताओं, कार्यकर्ताओं ने संगठन से इस्तीफा तक दे डाला। बावजूद जब इस बार विधानसभा चुनाव की बारी आई तो सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी रणनीति के तहत सुऐब अंसारी मन्नू को टिकट दिया। उसके बाद तो साफ हो गया कि पप्पू राय के लिए अब सपा में कुछ बचा नहीं है। चुनाव अभियान में पप्पू राय तो सपा के पक्ष में कहीं नहीं दिखे। अलबत्ता, उनका परिवार भाजपा के पक्ष में खुलकर लग गया था।
शायद यही वजह है कि अब जबकि पप्पू राय सपा से बहरियाए गए हैं तो उनके करीबियों में कोई हैरानी नहीं हुई है। सपा में पप्पू राय पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं।