हद है! बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों के अवकाश स्वीकृति के एवज में वसूलता है रिश्वत

गाजीपुर (कुमार नीरज)। नन्हें बच्चों को शुचिता, सदआचरण और सुसंस्कार देने की जिम्मेदारी संभालने वाले बेसिक शिक्षा विभाग खुद कुआचरण में संलिप्त है। यहां तक कि शिक्षकों के अवकाश स्वीकृत करने के एवज में बेझिझक रिश्वत वसूला जाता है।
यह किसी का जुबानी आरोप नहीं है। बल्कि खुद विभाग की ओर से कराई गई आईवीआरएस कॉल में यह चौंकाने वाली बात सामने आई है। गाजीपुर में कुल दस हजार 414 शिक्षक हैं। इनमें 358 के पास आईवीआरएस कॉल आई। 313 कनेक्ट हुए। कॉल रिसीव करने वाले शिक्षकों से अवकाश स्वीकृति में विलंब और इसके नाम पर आर्थिक शोषण के साथ ही अवकाश के आवेदन में मानव संपदा पोर्टल अथवा एम-स्थापना एप के इस्तेमाल के बाबत सवाल पूछे गए। मजे की बात कि 38 शिक्षकों ने बेहिचक कहा कि अवकाश स्वीकृति के नाम पर रिश्वत वसूला जाता है। जबकि 297 शिक्षकों ने बताया की अवकाश के लिए वह मानव संपदा पोर्टल अथवा एम-स्थापना एप का उपयोग करते हैं।
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गाजीपुर सहित प्रदेश के अन्य जिलों में कराई गई आईवीआरएस कॉल के जरिए अवकाश के एवज में रिशवतखोरी के मामले प्रकाश में आने के बाद महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद ने कड़ी नाराजगी जताई है और संबंधित जिलों के बीएसए को चिट्ठी लिख कर चेताया है कि अगर इन शिकायतों की पुनरावृत्ति हुई तो दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई होगी।
अवकाश स्वीकृति के नाम पर रिश्वतखोरी की मिली शिकायत में यह पता चला कि अवकाश के दिन के हिसाब से रिश्वत की रकम तय की जाती है। यहां तक की मांगलिक समारोह में अवकाश की स्वीकृति के लिए रिश्वत की रकम दोगुनी कर दी जाती है। बाल्यकाल देखभाल के अवकाश पर भी रिश्वत वसूला जाता है। इस सिलसिले में बीएसए गाजीपुर श्रवण कुमार से इस प्रतिनिधि ने संपर्क की कोशिश की लेकिन उनका फोन कवरेज क्षेत्र से बाहर मिला।