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सुभासपा को लगेगा झटका, काकन लौटेंगे `घर`!

गाजीपुर। सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर उधर अपनी अगुवाई वाले भागीदारी संकल्प मोर्चा में छोटे दलों को लामबंद कर भाजपा को सत्ता से बहरियाने मंसूबे पाल रहे हैं। इधर उनकी खुद की पार्टी दरकती नजर आ रही है। कम से कम गाजीपुर में तो ऐसा ही लग रहा है जबकि गाजीपुर उनका गढ़ है। जहां गाजीपुर की जहूराबाद विधानसभा क्षेत्र से ओमप्रकाश राजभर खुद विधायक हैं, वहीं जखनियां विधायक उन्हीं की पार्टी के त्रिवेणी राम हैं लेकिन संकेत मिल रहे हैं कि उनको जखनियां से ही तगड़ा झटका लगने जा रहा है।

सुभासपा के प्रदेश उपाध्यक्ष बृजेश सिंह काकन पार्टी छोड़ सकते हैं। इस अटकल को और बल मंगलवार की सुबह मिला। गाजीपुर के दो दिवसीय दौरे पर आए प्रदेश के समग्र ग्राम विकास मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह से पीडब्ल्यूडी डाक बंगले में श्री काकन की मुलाकात हुई। वह मुलाकात गर्मजोशी वाली रही। गवाह बने भाजपा एमएलसी विशाल सिंह चंचल। बल्कि चश्मदीदों की मानी जाए तो मोती सिंह ने पहले से बैठे चंचल को उठवाकर उनके सोफे पर श्री काकन को ससम्मान बैठाया। दोनोंजनों में राजनीतिक मंत्रणा भी हुई।

बाद में `आजकल समाचार` ने मोती सिंह से हुई इस मुलाकात के बाबत श्री काकन को फोन लगया लेकिन उन्होंने बस यही कहा कि उनके लिए मोती सिंह पहले से ही आदरणीय रहे हैं और उनसे यह मुलाकात शिष्टाचार भर रही।

खैर श्री काकन जो कहें लेकिन उनके करीबियों का कहना है कि सुभासपा के प्रदेश उपाध्यक्ष का भाजपा में जाना लगभग तय है। हालांकि इस संबंध में फिलहाल कुछ दाव करना जल्दबाजी होगी। वैसे हैरानी नहीं कि 16 जनवरी को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह  का प्रस्तावित गाजीपुर कार्यक्रम में भी काकन की भाजपा में ज्वाइनिंग हो जाए।

अगर श्री काकन भाजपा में आए तो इनकी घर वापसी होगी। साल 2005 में वह भाजपा छोड़ सुभासपा में गए थे। भाजपा में किसान मोर्चा के जिला महामंत्री का दायित्व संभाल चुके थे। उनका फिर भाजपा में जाना सुभासपा के लिए बड़ी क्षति होगी। काकन ने भाजपा छोड़ने के बाद बड़ा कार्यक्रम किया। उसमें खास कर वनवासी समाज की काफी तादात में हिस्सेदारी हुई। संभवत: उनकी उसी जमीनी ताकत का अंदाजा लगाकर सुभासपा पहली बार जखनियां सीट पर 2007 के विधानसभा चुनाव में वनवासी समाज से उम्मीदवार दी थी। तब काकन के बूते ही सुभासपा लगभग भाजपा के बराबर वोट पाई थी। 2012 के चुनाव में भी कमोवेश यही स्थिति रही जबकि भाजपा उस चुनाव में जनवादी पार्टी से गठबंधन था। फिर बारी आई 2017 के चुनाव की। सुभासपा का भाजपा से गठबंधन था और ओम प्रकाश राजभर ने पिछले दो चुनावों में अपनी पार्टी सुभासपा के प्रदर्शन के आधार पर ही जखनियां सीट अपने कोटे में करा ली। नतीजा मिला। सुभासपा के त्रिवेणी राम जीत गए। उस जीत में काकन की भी महती भूमिका रही।

इस दशा में काकन का सुभासपा छोड़ना और भाजपा में वापसी करना जखनियां क्षेत्र के राजनीतिक समीकरण को कैसे बदलेगा। इसका सहज अंदाजा लगाया जा  सकता है।

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