सपाः लगातार तीसरी बार दिनेश यादव की ताजपोशी पर सवाल

गाजीपुर। समाजवादी पार्टी के नवनियुक्त नगर अध्यक्ष दिनेश यादव और जिला उपाध्यक्ष अहमर जमाल का रविवार को समता भवन में समारोह पूर्वक स्वागत हुआ। समारोह की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने की।
नगर अध्यक्ष की जिम्मेदारी दिनेश यादव को लगातार तीसरी बार मिली है। इसको लेकर जहां पार्टी का यदुवंशी कॉडर खुश है लेकिन गैर यदुवंशी कॉडर में इस मसले पर फुसफुसाहट शुरू है। इसके पीछे पार्टी नेतृत्व की रणनीति चाहे जो हो लेकिन शहर की चुनावी सियासत का समीकरण समझने वाले भी पार्टी के इस औचित्य पर हैरानी जरूर जता रहे हैं।
कहा जा रहा है कि शहर में पार्टी का परंपरागत यदुवंशी कॉडर अपेक्षाकृत काफी कम है। बल्कि वैश्य समाज की बाहुलता है। फिर अगड़े अच्छी संख्या में आबाद हैं। गैर यदुवंशी पिछड़ों की भी ठीकठाक आबादी है। आबादी के लिहाज से मुस्लिमों के भी कई बड़े और घने मुहल्ले हैं। बावजूद इन गैर यदुवंशियों को नेतृत्व का मौका नहीं दिया जा रहा है जबकि पार्टी के शीर्ष नेताओं की दिली ख्वाहिश है कि गाजीपुर नगर पालिका के चेयरमैन की कुर्सी से भाजपा को बेदखल कर पार्टी का कब्जा जमाया जाए।
खैर पार्टी की नगर इकाई ही क्यों देखा जाए तो संगठन का लगभग यादवीकरण ही कर दिया गया है। जिला नेतृत्व समूह में जिलाध्यक्ष सहित तीन यदुवंशी हैं। कुल सात विधानसभा इकाइयों में छह इकाइयों के अध्यक्ष पद पर यदुवंशी हैं। उधर पार्टी के कुल 13 प्रकोष्ठों में चार की अध्यक्षीय यदुवंशियों के हाथों में है। यह स्थित तब है जब पार्टी 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी धुर विरोधी भाजपा के सबका साथ-सबका विकास के नारे को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में है।
हालांकि इसी बीच पार्टी ने जिला उपाध्यक्ष पद पर अहमर जमाल को लाकर मुस्लिमों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताने की पूरी कोशिश जरूर की है। अहमर जमाल अपनी कौम के लिए प्रभावी चेहरा हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी गर्वित करने वाली है। जंग-ए-आजादी में इनके दादा जुनैद आलम ने महती भूमिका निभाई थी। 1942 के अगस्त क्रांति में अपनी जान की परवाह छोड़ जुनैद आलम ने नंदगंज रेलवे स्टेशन पर तिरंगा फहरा कर फिरंगी हुकूमत को सीधी चुनौती दी थी। फिर अहमर जमाल मूलतः गाजीपुर शहर के मुस्लिमों के सबसे बड़े मुहल्ला बरबरहना के बाशिंदा हैं। जाहिर है कि पार्टी को इसका लाभ मिलेगा।
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