शिक्षा माफिया की करोड़ों की संपत्ति कुर्क

ग़ाज़ीपुर। संगठित अपराध के खिलाफ योगी सरकार के चल रहे अभियान के तहत शुक्रवार को गाज़ीपुर में बड़ी कार्रवाई हुई । शिक्षा माफिया की करोड़ों की संपत्ति कुर्क कर ली गई। यह कार्रवाई गैंगस्टर एक्ट में हुई। शिक्षा माफिया पारस कुशवाहा शहर कोतवाली के छावनी लाइन क्षेत्र स्थित रघुनाथपुर का रहने वाला है। डीएम ओम प्रकाश आर्य के आदेश पर प्रशासनिक अधिकारी मय फोर्स दोपहर करीब दो बजे उसके शिक्षण संस्थान बुद्धम शरणम इंटर कॉलेज, ग्लोरियस पब्लिक स्कूल आदर्श गांव छावनी लाइन के साथ ही फतेउल्लाहपुर डिग्री कॉलेज में पहुंचे। जहां कुल चार बड़े भवनों के गेट पर कुर्की कार्रवाई की नोटिस चस्पा की गई। इसके अलावा दस भूखंड और छह बाइक, चार फोर व्हीलर वाहन भी कुर्क कर सदर तहसीलदार के अधीन सुपुर्द कर दिए गए। इस कार्रवाई के वक्त बकायदा मुनादी भी कराई गई। कार्रवाई के लिए पहुंची टीम की अगुवाई एसडीएम सदर प्रभाष कुमार और सीओ सिटी ओजस्वी चावला कर रहे थे। बाद में पुलिस कप्तान डॉक्टर ओपी सिंह ने मीडिया को बताया की कुल कुर्क की गई संपत्ति 12 करोड़ 31 लाख 59 हजार की है। कार्रवाई के वक्त शिक्षा माफिया पारस कुशवाहा मौके पर नहीं था जबकि पड़ताल में भवन के रिहायशी हिस्से में उसकी पत्नी मौजूद थी। उसे फौरन भवन छोड़ने को कहा गया। गाज़ीपुर में किसी शिक्षा माफिया के खिलाफ इतनी बड़ी कार्रवाई का यह पहला मामला है।
ढाई दशक में फर्श से अर्श पर पहुंचा पारस
शिक्षा माफिया पारस कुशवाहा की अकूत संपत्ति के मालिक बनने की कहानी भी कम रोचक नहीं है। करीब ढाई दशक पहले तक वह और उसका परिवार काफी दीन हीन दशा में रहा लेकिन परिवार की किस्मत का ताला तब खुला जब प्रदेश में पहली बार बसपा की मायावती मुख्यमंत्री बनीं और जमानियां के तत्कालीन विधायक जयराम कुशवाहा उस सरकार में शिक्षा मंत्री बने। पारस का बड़ा भाई महेंद्र कुशवाहा उनका करीबी था। शिक्षा मंत्री की पहुंच और प्रभाव के बूते उसने अपने परिवार के प्रबंधन में शिक्षा संस्थान की नींव डाली। उसके बाद परिवार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। पारस के फितरती दिमाग ने शिक्षण संस्थानों को विस्तार देना शुरू किया। नकल के जरिये मनचाहे परीक्षा परिणाम दिलाने का माहिर खिलाड़ी बन गया। पहली बार उसका रैकेट साल 2016 में तब सामने आया जब पॉलिटेक्निक की प्रदेश स्तर पर हुई संयुक्त प्रवेश परीक्षा में उसके विद्यालय केंद्र के एक ही कमरे के 12 छात्र प्रदेश में टॉप किए। मीडिया में यह बात उछलने के बाद संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद का ध्यान इस ओर गया। जांच हुई और पूरी कारस्तानी सामने आ गई। उसके विद्यालय परीक्षा केंद्र के सभी 28 छात्रों की प्रवेश परीक्षा निरस्त कर दी गई। उस मामले में पारस सहयोगियों संग जेल गया। उनके खिलाफ गैंगस्टर के तहत कार्रवाई हुई। बावजूद पारस सुधरा नहीं। इस साल उसके विद्यालय बुद्धम शरणम् इंटर कॉलेज में हुई टेट परीक्षा में सामूहिक नकल पकड़ी गई। यह कार्रवाई एसटीएफ की वाराणसी यूनिट नें की। तब एक बार फिर पारस को अपने सहयोगीयों के साथ जेल जाना पड़ा। फ़िलहाल वह जमानत पर जेल से बाहर है।
पारस के लिए नेता बने `पारस`
शायद पारस कुशवाहा को पता था कि अपने परिवार के जिस इंपायर की नींव में सियासी आका की मदद मिली उसका विस्तार भी सियासतदानों से ही संभव होगा। यही वजह रही कि उसने समय-समय पर सत्ताधारी नेताओं का दामन थामता रहा। उसने छावनी लाइन के रहने वाले स्वजातीय नेता पूर्व विधायक उमाशंकर कुशवाहा के विरोधी नेताओं का साथ पकड़ा। उसका उसे लाभ भी मिला। भाजपा के तत्कालीन एमएलसी ब्रजभूषण कुशवाहा की निधि से विद्यालय के लिए रकम लिया। तो सपा सरकार के तत्कालीन मंत्री कैलाश यादव का संरक्षण भी प्राप्त किया।