वर्दी पर वार, न्याय का प्रहार : जब हाईकोर्ट ने सत्ता के घमंड को नंगा किया!

भोपाल | विशेष रिपोर्ट
देश की बेटियों पर जब गोली चलती है, तो वो ढाल बनकर खड़ी होती हैं। मगर जब कोई मंत्री गटर जैसी भाषा में उन्हें “आतंकियों की बहन” कहे — तो सिर्फ एक महिला नहीं, पूरा राष्ट्र घायल होता है।
मगर इस बार न्याय ने चुप्पी नहीं साधी, बल्कि गर्जन की — और इतिहास रचा।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने भाजपा नेता और मंत्री कुँवर विजय शाह के बयान को राष्ट्र की आत्मा पर हमला बताया और स्वतः संज्ञान लेते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया।
वह भी उसी दिन — उसी शाम — बिना देर, बिना बहाना।
कोर्ट ने क्या कहा :
“सशस्त्र बल — वह अंतिम दीवार है जो इस देश को जोड़े रखती है। उस पर कीचड़ फेंकना देशद्रोह से कम नहीं।”
“कर्नल सोफिया कुरैशी पर मंत्री का बयान केवल अपमान नहीं, बल्कि धार्मिक जहर से भरा हथियार था।”
“यह घृणा मुस्लिम नाम सुनते ही भड़क उठती है, और यही मानसिकता इस देश को तोड़ती है।“
तीन धाराएं, एक फैसला :
कोर्ट ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS) की ये तीन धाराएं पूरी तरह लागू होती हैं:
- धारा 152 — भारत की संप्रभुता, एकता व अखंडता को खतरे में डालना
- धारा 196(1)(b) — धर्म के आधार पर शांति भंग करना
- धारा 197 — किसी समुदाय के खिलाफ नफरत फैलाना
कोर्ट ने DGP को दिया अल्टीमेटम:
“आज शाम तक एफआईआर दर्ज हो जानी चाहिए — नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहें।”
“चार घंटे का वक्त है — या तो सुप्रीम कोर्ट से स्टे लाओ, या कानून का पालन करो।”
“हम बयान के वीडियो लिंक भी आदेश में जोड़ेंगे — ताकि कोई बहाना न बना सके।“
यह फैसला क्या कहता है?
यह आदेश मात्र एक कानूनी कार्रवाई नहीं, बल्कि लोकतंत्र का तमाचा है — उन लोगों के लिए जो सत्ता के नशे में, धर्म और सेना दोनों का अपमान करने से नहीं चूकते।
कर्नल सोफिया कुरैशी वह अधिकारी हैं जिन्होंने ऑपरेशन “सिंदूर” की प्रेस ब्रीफिंग कर देश को पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर की गई कार्रवाई की जानकारी दी थी। वही सोफिया, जो देश के सम्मान का चेहरा बनीं — आज एक मंत्री के ज़हर का शिकार बनीं।
सत्ता के लिए सबक :
संविधान धर्म नहीं पूछता, न ही बलिदान की वर्दी मज़हब देखती है।
जो देखता है — वो है न्याय।
और आज न्याय ने बोल दिया: ‘बस बहुत हो गया'।
कल फिर कोर्ट में होगी सुनवाई। देश देख रहा है — क्या इस बार सच में सत्ता जवाबदेह होगी?