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रेल पुल बना रही कंपनी पर बिजली विभाग की लाखों की लेनदारी

गाजीपुर : रेल सह रोड ब्रिज में कार्य कर रही कार्यदायी संस्था पीएंडआर और बिजली विभाग न सिर्फ आमने-सामने हैं बल्कि मामला हाइकोर्ट तक पहुंच गया है। हाइकोर्ट द्वारा मांगे गए जवाब में अधिशासी अभियंता ने कहा कि पीएंडआर द्वारा बकाया बिल जमा नहीं करने पर कनेक्शन विच्छेद कर दिया गया। इसके बावजूद उन्होंने अपने से लाइन जोड़ लिया। इसी के तहत संस्था के खिलाफ 57 लाख 85 हजार 702 शमन शुल्क जमा करने के लिए दो दिसम्बर 2019 को नोटिस जारी किया था। वहीं पीएंडआर कार्यदायी संस्था ने भी बिजली विभाग पर कई आरोप लगाए हैं।

रेल सह रोड ब्रिज के लिए पीएंडआर कार्यदायी संस्था द्वारा गर्डर बनाया जाता है। घाट स्टेशन के पास फेब्रिकेशन वर्कशाप बना है। इसके लिए संस्था द्वारा बिजली कनेक्शन लिया गया था। महीने का करीब 10 लाख के आसपास का बिल आता था। संस्था पर 36 लाख 89 हजार 825 रुपये बकाया हो गया। ऐसे में 16 सितम्बर 2019 को कनेक्शन विच्छेद कर दिया गया। अधिशासी अभियंता का कहना है कि 27 सितम्बर को टीम जांच करने पहुंची तो कनेक्शन जुड़ा हुआ मिला। इसके तहत एफआइआर दर्ज करने के साथ ही दो दिसम्बर को राजस्व निर्धारण के सात लाख 85 हजार 702 एवं 50 लाख रुपये का शमन शुल्क जमा करने को नोटिस जारी किया गया। इस पर कार्यदायी संस्था के अधिकारी ने अपनी दलील पेश करते हुए राहत की मांग की। जिलाधिकारी तक को पत्रक दिया, लेकिन कोई राहत नहीं मिलने पर हाईकोर्ट में गुहार लगाई। बीते नौ जून को हाईकोर्ट ने जवाब मांगा था, जिसपर अधिशासी अभियंता ने 22 जून को अपना जवाब प्रेषित किया। –

कंपनी का है यह आरोप

– कार्यदायी संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर अजय कुमार ने बताया कि हमारे कनेक्शन में बिजली विभाग ने बगल के गांव के एक व्यक्ति को कनेक्शन दे दिया। इसके बाद लाइन ट्रिप करने लगा। तब कनेक्शन कटवा दिया गया। कुछ दिनों बाद बकाया बिल भी जमा हो गया। इसी बीच खराबी को सही करने के लिए शटडाउन लेकर आए लाइनमैन ने गलती से एक बार फिर कनेक्शन जोड़ दिए। हम लोग 11 हजार वोल्ट की लाइन से कनेक्शन कैसे जोड़ सकते हैं। कनेक्शन विच्छेदित होने के कारण पिछले करीब आठ माह से जेनरेटर चलाकर काम किया जा रहा है। इससे काफी परेशानी आ रही है और करोड़ों का नुकसान भी हो रहा है। विभाग के इस तरह के असहयोग से परियोजना पर भी इसका असर पड़ रहा है। वहीं अधिशासी अभियंता आदित्य पांडेय ने कार्यदायी संस्था के सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

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