भाजपा विधायक अलका राय ने प्रियंका गांधी को भेजी चिट्ठी, मुख्तार अंसारी को संरक्षण देने का लगाया सीधा आरोप

गाजीपुर। भाजपा विधायक अलका राय ने कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को चिट्ठी भेजकर बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को संरक्षण देने का आरोप लगाया है। मंगलवार को भेजी उस चिट्ठी की पंक्तियां काफी मार्मिक और आग्रही भी हैं। चिट्ठी में मुख्तार अंसारी के लिए तल्ख संबोधन है।
चिट्ठी की शुरुआत उन्होंने स्वंय को विधवा बताते हुए की है और विगत 14 वर्षों से अपने पति विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के विरुद्ध इंसाफ के लिए संघर्षरत बताया है। साफ कहा है कि पंजाब राज्य की कांग्रेस सरकार मुख्तार को खुला संरक्षण दे रही है। यही वजह है कि पंजाब की रोपड़ जेल में निरुद्ध मुख्तार को उत्तर प्रदेश की अदालतों में बार-बार वारंट जारी होने के बावजूद हाजिर नहीं कराया जा रहा है। इससे मुख्तार के अत्याचार से पीड़ित उन जैसे लोगों को न्याय नहीं मिल रहा है। यह कांग्रेस की पंजाब सरकार की बेशर्मी है।
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चिट्ठी में अलका राय ने प्रियंका गांधी के साथ ही राहुल गांधी को भी लपेटा है। कहा है कि मुख्तार को लेकर पंजाब की कांग्रेस सरकार जो कुछ कर रही है, उससे न वह खुद बल्कि राहुल गांधी भी अनजान नहीं हैं। बावजूद उनकी इस मामले में चुप्पी उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए हैरान करने वाली है।
चिट्ठी के अंत में अलका राय ने प्रियंका गांधी से अपेक्षा करते हुए लिखा है-आप में थोड़ी भी संवेदना होगी तो आप ना सिर्फ मेरे पत्र का जवाब देंगी बल्कि मुख्तार अंसारी को सजा दिलवाने में मेरी मदद करेंगी।
मालूम हो कि मुख्तार अंसारी के विरुद्ध एमपी-एमएलए कोर्ट, प्रयागराज का वारंट लेकर उन्हें लाने के लिए गाजीपुर पुलिस भी पंजाब के रोपड़ गई थी मगर बैरंग लौटी। वहां बताया गया कि मुख्तार ब्लड सुगर, डिप्रेशन आदि गंभीर रोग से ग्रस्त हैं और उनको तीन माह बेड रेस्ट करने को डॉक्टरों ने कहा है।
भाजपा विधायक की यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल की जा रही है। जाहिर है कि राजनीतिक हलके में इस चिट्ठी के निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी प्रदेश की भाजपा सरकार पर हमलावर हैं और कानून-व्यवस्था के सवाल पर वह भाजपा सरकार को घेरने का कोई मौका चूक नहीं रही हैं। इसी क्रम में मुख्तार अंसारी को लेकर भाजपा विधायक का प्रियंका गांधी को यह चिट्ठी लिखना और उसका सोशल मीडिया पर वायरल होना राजनीतिक हलके में इसे महज इत्तेफाक नहीं माना जा रहा है।