पैरो में टेढ़ापन लेकर जन्मे थे, अब दौड़ रहे हैं सपनों के साथ” — डॉ. रजत सिंह की सेवा ने रच दिया चमत्कार!
गाजीपुर के क्लबफुट क्लिनिक में जन्मजात विकृति से जूझते बच्चों को मिला नया जीवन — डॉ. रजत सिंह बने उम्मीदों के देवदूत

गाजीपुर, 27 जून 2025 : जिस बच्चे ने जीवन की पहली सांस के साथ ही पैरों में मजबूरी ओढ़ ली हो, उसका जीवन सामान्य कैसे हो सकता है? मगर गाजीपुर के एक डॉक्टर ने इस असंभव को संभव कर दिखाया है।
महर्षि विश्वामित्र स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, गाजीपुर में संचालित क्लबफुट क्लिनिक में डॉ. रजत सिंह की अगुवाई में चल रही सेवा अब हजारों घरों में मुस्कान बन चुकी है।
सिर्फ तीन वर्षों में 172 मासूमों के टेढ़े पैरों को सीधा कर, उन्हें सामान्य जीवन की राह पर चलाना – कोई साधारण काम नहीं।
- 2022-23 में 45 बच्चों का इलाज
- 2023-24 में 49 बच्चों को मिला नया जीवन
- 2024-25 में 63 बच्चे हुए पूर्णतः ठीक
- 2025-26 में अब तक 15 बच्चों का सफल उपचार
यहां हर बच्चे का इलाज अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार होता है — 6 से 8 कास्टिंग सत्रों में पैर को ठीक करना, फिर आवश्यकता पड़ने पर टेनोंटॉमी, जिसकी सफलता दर 100% रही है। यह किसी भी क्लबफुट क्लिनिक की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।
लेकिन आंकड़ों से कहीं ज़्यादा मार्मिक है वो भावना, जो डॉ. रजत सिंह के शब्दों में झलकती है:
“अगर अभिभावक पूरे पांच साल के उपचार को गंभीरता से पूरा करें, तो हम पूरे आत्मविश्वास से कह सकते हैं कि उनका बच्चा पूरी तरह सामान्य हो जाएगा – दौड़ेगा, खेलेगा, और एक सम्मानजनक जीवन जियेगा।”
डॉ. रजत सिंह: सिर्फ डॉक्टर नहीं, एक वरदान
उनके इलाज की प्रक्रिया में सिर्फ चिकित्सा नहीं, संवेदना और धैर्य का समुंदर भी बहता है।
हर बच्चे को इंसान नहीं, एक जिम्मेदारी समझ कर देखना – यही सोच उन्हें आम डॉक्टरों से अलग करती है।
कई गरीब माता-पिता जिनके पास इलाज के पैसे नहीं थे, उन्हें भी डॉ. साहब ने उम्मीद से भर दिया। किसी से फीस की जिद नहीं, सिर्फ इलाज और सेवा की भावना।
गाजीपुर आज गर्व से कह सकता है – हमारे पास डॉ. रजत सिंह जैसे चिकित्सक हैं, जो मसीहा बनकर बच्चों के पैरों में दौड़ती ज़िंदगी लौटा रहे हैं।
ऐसे डॉक्टर अब तक कहां थे?
शायद ऐसे डॉक्टर वहीं होते हैं, जहां सेवा को पेशा नहीं बल्कि पूजा समझा जाता है।
डॉ. रजत सिंह आज सिर्फ गाजीपुर के नहीं, पूरे भारत के मेडिकल सिस्टम के लिए एक प्रेरणा, आदर्श, और गौरव बन चुके हैं।