पुलिस की गुंडई! आधी रात घर में घुस कर फल विक्रेता का तोड़े हाथ-पांव, महिलाओं संग दुर्व्यवहार

गाजीपुर। बेकसूरों पर नाहक जुल्म, पीड़ितों के साथ बेइंसाफी, राजनीतिक कार्यकर्ताओं संग दुर्व्यवहार की घटनाएं गाजीपुर पुलिस के लिए अब आम बात हो गई है। ताजा मामला दिलदारनगर गांव का है। जहां पुलिस एक फल विक्रेता के घर शनिवार की आधी रात धावा बोली। फल विक्रेता सलीम कुरैशी का हाथ पांव तोड़ दी और उनकी पत्नी सरवरी सहित परिवार की अन्य महिलाओं संग दुर्व्यवहार की। जख्मी सलीम (55) को जिला अस्पताल से वाराणसी के लिए रेफर कर दिया गया है।
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पीड़ित परिवार के मुताबिक रात करीब दो बजे पुलिस टीम उनके घर पहुंची। बाहर से आवाज देकर दरवाजा खोलवाई। उसके बाद सलीम को घसीटते हुए बाहर ले जाने लगी। पत्नी सरवरी और परिवार के अन्य महिलाओं ने इसका विरोध किया तो पुलिस कर्मी उन्हें गालियां देते हुए कई थप्पड़ रसीद कर दिए। फिर वह सलीम को घसीट कर घर के बाहर गली में पटक दिए और लाठी से उनपर टूट पड़े। बर्बर पिटाई से सलीम बेहोश हो गए। फिर उनके अंडरवियर की जेब में फल खरीदने के लिए रखी 20 हजार नकदी निकाल लिए। उसके बाद सलीम को उसी दशा में छोड़ सभी पुलिस कर्मी चले गए।
पीडित परिवार की चीख पुकार सुन आसपास के लोग मौके पर पहुंचे। सलीम को जिला अस्पताल लाया गया। बताया गया है कि उनके दाएं घुटने की हड्डियां चूर हो गईं हैं।
इस अति गंभीर मामले को पुलिस अधिकारियों के स्तर से दबाने की भरसक कोशिश भी शुरू हो गई है। ‘आजकल समाचार’ ने पुलिस कप्तान डॉ. ओमप्रकाश सिंह को फोन लगाया। उन्होंने ऐसे किसी भी मामले के प्रति अनभिज्ञता जताई। उधर सीओ जमानियां सुरेश प्रसाद शर्मा से फोन पर संपर्क किया गया। बताए कि वह खुद दिलदारनगर थाने पर बैठे हैं। घटनाक्रम की चर्चा पर वह यह तो कबूले कि सलीम कुरैशी के घर पुलिस टीम पहुंची थी लेकिन उनका कहना था कि सलीम कुरैशी के घर गोवंश काटने की खुफिया जानकारी पर पुलिस उनके घर गई थी। पुलिस टीम को देख भागने की कोशिश में सलीम अपनी छत से कूद गए। उसके चलते उनके घुटने की हड्डी टूटने की खबर मिली है। वैसे इसकी पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट से होगी। उन्होंने सलीम कुरैशी के 20 हजार नकद लूटने के आरोप को भी सिरे से खारिज किया।
…पर इन सवालों का जवाब कौन देगा
पूरे घटनाक्रम पर पुलिस अधिकारी चाहे जो कहें लेकिन इनमें कुछ सवाल ऐसे उठ रहे हैं जिनका जवाब तो आना ही चाहिए। पहला सवाल कि सलीम कुरैशी जब दुर्दांत और मोस्ट वांटेड अपराधी नहीं थे तब पुलिस को आधी रात उनके घर पहुंचने की जरूरत क्यों पड़ी। वह भी तब जब सरकार का यह स्पष्ट निर्देश है कि जघन्य मामलों में ही किसी के घर रात के पहर दबिश डाली जाए। दूसरा सवाल कि रात में सलीम के घर छापेमारी में महिला पुलिस को क्यों नहीं शामिल किया गया। एक सवाल यह भी कि छापेमारी में मौके पर क्या गोवंश काटने के सबूत मिले।

मुख्यमंत्री का पुलिस पर अंकुश नहीं: पूर्व मंत्री
अपने क्षेत्र की इस घटना को लेकर सपा के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री ओमप्रकाश सिंह बेहद खफा हैं। उन्होंने कहा कि अव्वल तो यह घटना पुलिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ का नियंत्रण चुकने का नतीजा है। गाजीपुर सहित पूरे सूबे की पुलिस बेलगाम हो गई है। गिरोहबंद होकर पुलिस अवैध वसूली में जुट गई है। यहां तक कि बिना मास्क व हेलमेट बाइक चलाने वालों से भी वसूली के रेट तय कर दिए गए हैं। पूरा पुलिसिया सिस्टम जुल्मी शासक चंगेज खां, नादिरशाह के जमाने की तरह चल रहा है। रही बात पुलिस उत्पीड़न के शिकार सलीम कुरैशी के मामले की तो वह उनके साथ हैं। इसके लिए उन्होंने अपने प्रतिनिधि को मौके पर भेजा है। वहां की पूरी रिपोर्ट मिलने के बाद वह आगे की कार्यवाही का निर्णय लेंगे।