…पर रामविलास पासवान की लंका मैदान में विशाल जनसभा करने की साध नहीं हुई पूरी

गाजीपुर। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन की गुरुवार की रात आई खबर गाजीपुर के लोगों को भी हैरान और गमजदा करने वाली रही।
वैसे तो रामविलास पासवान का गाजीपुर से कोई सीधा सियासी वास्ता नहीं रहा है मगर यह जरूर है कि एक बार जरूर उन्होंने कभी साम्यवादी, समाजवादियों के गढ़ माने जाने वाले और बिहार से एकदम सटे इस गाजीपुर से सियासी ताल्लुकात जोड़ने की कोशिश की थी। बात तब की है जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (1999-2004) में वह संचार मंत्री थे। उनकी नजर उत्तर प्रदेश के साल 2002 के विधानसभा चुनाव पर थी। वह अपनी लोक जनशक्ति पार्टी के लिए गाजीपुर में संभावनाए तलाशने आए थे। सूत्रधार थे मुहम्मदाबाद क्षेत्र स्थित हरिहरपुर के रहने वाले होनहार युवा नेता राजेश राय। उस वक्त वह संचार विभाग के जाने माने ठेकेदार भी थे। उन्होंने रामविलास पासवान की मुहम्मदाबाद के शहीद पार्क में जनसभा कराई। उसके बाद रामविलास पासवान ने गाजीपुर जिला मुख्यालय के सबसे बड़े लंका मैदान में अपनी जनसभा आयोजित करने की जिम्मेदारी राजेश राय को सौंपी थी। राजेश राय ने नीयत तारीख पर लंका मैदान में विशाल जनसभा के हिसाब से भव्य मंच, बैरिकेडिंग करवा दी थी। नीयत वक्त पर रामविलास पासवान सड़क मार्ग से वाराणसी के रास्ते गाजीपुर पहुंच भी गए थे लेकिन तब तक सभास्थल पर राजेश राय और उनके चुनिंदे कार्यकर्ताओं के सिवाय कोई जन नहीं पहुंचा था। यह जानने के बाद रामविलास पासवान होटल राही में ही रुक गए। समय बिताने के लिए आनन-फानन में आयोजकों ने उनके लिए प्रेसवार्ता का कार्यक्रम बना दिया। उसमें करीब दो घंटे गुजरे। बावजूद तब तक सभास्थल पर जनता नहीं पहुंची थी। आखिर में सभास्थल पर गए बगैर रामविलास पासवान होटल राही से ही वाराणसी लौट गए थे।
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हालांकि साल 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद अटल बिहारी बाजपेयी की जगह डॉ.मनमहोन सिंह प्रधानमंत्री बने। उनकी सरकार में रामविलास पासवान रसायन, उर्वरक फिर इस्पात मंत्री बनेेे। बाद में राजेश राय की हत्या भी हो गई। उसके बाद रामविलास पासवान के लिए ऐसा कोई संदर्भ नहीं बना कि वह फिर गाजीपुर आएं।
