…पर कब पहुंचेंगे मुख्तार के शूटर अताउर्रहमान और शहाबुद्दीन के गिरेबां तक पुलिस के हाथ

गाजीपुर। योगी सरकार के मुख्तार अंसारी के विरुद्ध चल रहे अभियान के तहत पुलिस छुटभैय्यों तक को जेल भेज अपनी पीठ थपथपाने में जुट गई है लेकिन मुख्तार के ईनामी दो शूटर आज भी उसके लिए चुनौती हैं। उन तक पहुंचना तो दूर उनके असल ठिकानों तक का पता पुलिस को नहीं है जबकि दोनों शूटर अताउर्रहमान उर्फ बाबू के सिर पर पांच लाख और शहाबुद्दीन पर दो लाख का सीबीआई ईनाम भी घोषित की है।
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दोनों गाजीपुर की मुहम्मदाबाद कोतवाली के महरुपुर गांव के रहने वाले हैं। महरुपुर मुख्तार की ससुराल है और अताउर्रहमान रिश्ते में मुख्तार का चचाजात ससुर है। यह दोनों 22 जनवरी 1997 में हुए तत्कालीन विहिप कोषाध्यक्ष और प्रमुख कोयला व्यवसायी नंदकिशोर रुंगटा अपहरण कांड के बाद से ही फरार हैं।
श्री रुंगटा का अपहरण उनके वाराणसी स्थित रवींद्रपुरी कॉलोनी के आवास से शाम के पहर हुआ था। इस हाई प्रोफाइल अपहरण कांड में पुलिस की नाकामी के बाद हाईकोर्ट के आदेश पर मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था। उस मामले में सीबीआई मुख्तार को गिरफ्तार भी की थी लेकिन सबूतों के अभाव में उनको क्लीन चिट मिल गई थी लेकिन उस कांड में शामिल रहे अताउर्रहमान व शहाबुद्दीन लाख कवायद के बाद भी सीबीआई के हाथ नहीं लगे।
हालांकि अताउर्रहमान का नाम साल 2005 में हुए भाजपा विधायक कृष्णानंद राय हत्याकांड में भी आया था। उससे माना गया था कि अतउर्रहमान का मूवमेंट गाजीपुर में पहले की तरह ही है। वैसे अंडरवर्ल्ड में यही चर्चा है कि भारत के मोस्ट वांटेड दाऊद इब्राहिम की तर्ज पर अताउर्रहमान भी पाकिस्तान के कराची से ही अपने क्राइम सिंडिकेट को ऑपरेट करता है। यहां तक कि डी-कंपनी के मोडस ऑपरेंडीस पर पाकिस्तान से पूर्वांचल के जरायम में दखल रखने वाले इस वांटेड को मिनी दाऊद के रुप में पहचाने जाने लगा है।
योगी सरकार माफियाओं के खिलाफ जिरो टॉलरेंस की नीति इख्तियार कर रही है। ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि भारत सरकार की मदद से सूबे की सरकार विदेश से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा बने ऐसे वॉंटेड अपराधियों को भारतीय कानून की जद में ला जेल की सलाखों के पिछे डालने का मुकम्मल इंतजाम कर देगी।