गंगा पुल पर ओवरलोडिंग के लिए सिर्फ सुहवल थाना क्यों जिम्मेदार

गाजीपुर। सुहवल थाने के एसआई महमूद आलम अंसारी और कांस्टेबल विनोद कुमार यादव को लाइन हाजिर कर दिया गया है। पुलिस कप्तान पुलिस कप्तान डॉ.ओमप्रकाश सिंह ने बुधवार की रात यह कार्रवाई की है।
हालांकि आधिकारिक रूप से इसका कोई कारण स्पष्ट नहीं है मगर महकमे में इसे बतौर सजा माना जा रहा है। इलाकाई लोगों में भी इसे गंगा पुल (हमीद सेतु) पर भारी वाहनों की ओवरलोडिंग से जोड़ा जा रहा है। एसआई और कांस्टेबल की बीट में ही गंगा पुल पड़ता था।
जाहिर है कि पुल पर ओवरलोड वाहनों के आवागमन की जवाबदेही भी उन्हीं की ही थी लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि अकेले सुहवल थाने के पुलिस कर्मी ही क्यों जिम्मेदार ठहराए जा रहे हैं जबकि देखा जाए तो इसकी जवाबदेही जमानियां सर्किल के अन्य थानों की भी बनती है। खासकर जमानियां और गहमर थाना।
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ओवरलोडिंग की सबसे ज्यादा शिकायत लाल बालू लदे ट्रकों से है। लाल बालू बिहार और सोनभद्र से आता है। गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करते ही सबसे पहले उन ओवरलोड ट्रकों का सामना जमानियां और गहमर थाने के पुलिस कर्मियों से होता है। अगर उन ट्रकों को वहीं रोक दिया जाए तो तय है कि गंगा पुल पर ओवरलोडिंग की शिकायत की नौबत ही नहीं आएगी।
बताया तो यही जाता है कि ओवरलोड ट्रकों से वसूली का काम जमानियां व गहमर थाना क्षेत्र से ही शुरू हो जाता है और अंतिम ‘बैरियर’गंगा इस पार शहर कोतवाली की पुलिस चौकी रजागंज का पड़ता है।
तुर्रा यह कि गंगा पुल पर ओवरलोडिंग को हर हाल में रोकने की मुहिम में लगे समाजसेवी और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के एजेंडे में भी सुहवल थाने के ही पुलिस कर्मी हैं। शायद वह भूल गए हैं कि ओवरलोडिंग से गंगा पुल के क्षतिग्रस्त होने पर ट्रकों का परिचालन बंद था। बावजूद ओवरलोड लाल बालू लेकर ट्रक जमानियां, गहमर के रास्ते गंगा पुल तक आते। उसके बाद सुहवल पुलिस के सहयोग से ट्रैक्टर ट्रालियों पर ओवरलोडिंग कर लाल बालू इस पार लाया जाता। उसका परिणाम यह निकला था कि पुल और क्षतिग्रस्त होता गया। आखिर में उस पर करीब दो माह तक वाहनों का पूरी तरह परिचालन बंद कर पुल की मरम्मत करनी पड़ी थी।
अब जबकि मरम्मत के बाद दोबारा पुल पर वाहनों के परिचालन के साथ ही ओवरलोडिंग का खेल भी शुरू हो गया है।