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क्या अंसारी बंधुओं के सियासी किले को भी दरका पाएगी भाजपा

गाजीपुर (राहुल पांडेय)। अंसारी बंधुओं के आर्थिक साम्राज्य पर भाजपा सरकार चोट दर चोट कर रही है। बेशक! इसके पहले अंसारी बंधु ऐसे हालात से शायद कभी नहीं गुजरे थे मगर क्या उनकी सियासी रियासत को भी भाजपा खत्म कर पाएगी। यह सवाल कम से कम गाजीपुर में तो उठ ही रहे हैं और माना जा रहा है कि इसका अंदाजा 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में ही लग जाएगा।

गाजीपुर में अंसारी बंधुओं की सियासी जमीन काफी मजबूत मानी जाती है। वह अपनी `सर्वहारा` रणनीति से इस जमीन में खाद पानी भी डालते रहते हैं। यहां तक कि उनकी सियासी जड़ें लोकतंत्र की सबसे निचली इकाई ग्राम पंचायतों तक में धंसी हैं। पिछले त्रि-तरीय पंचायत चुनाव में मुहम्मदाबाद, भांवरकोल, रेवतीपुर, कासिमाबाद, बाराचवर ब्लाक के कुल ग्राम प्रधानों में करीब दो तिहाई इनसे जुड़े रहे जबकि गाजीपुर के कुल 16 ब्लाकों में मुहम्मदाबाद, भांवरकोल व कासिमाबाद ब्लाक प्रमुख पद पर इनके अपने लोग काबिज हुए। इनके अलावा रेवतीपुर, जमानियां, मनिहारी, जखनियां ब्लाक प्रमुख के चुनाव में भी अंसारी बंधुओं की भूमिका अहम रही। फिर जिला पंचायत के सात सदस्य भी इनके अपने जीते थे।

जिला पंचायत चेयरमैन पद के पिछले कई चुनावों से अंसारी बंधुओं का सीधा दखल रहा है। हालांकि दलगत लिहाज से देखा जाए तो जिला पंचायत चेयरमैन की कुर्सी पर 1995 से अब तक समाजवादी पार्टी का ही कब्जा है लेकिन हर चुनाव में उसे अंसारी बंधुओं की मदद लेनी पड़ी।

जिला पंचायत चेयरमैन पद के चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए अंसारी बंधु कितने अहम हैं। उसका एहसास सियासी हलके के लोगों को 2017 में हुए उप चुनाव में हुआ था। तत्कालीन चेयरमैन डॉ.वीरेंद्र यादव के विधायक चुने जाने के बाद अगस्त में उस पद के लिए उप चुनाव हुआ था। समाजवादी पार्टी के कई दिग्गज किसी और को उम्मीदवार बनाना चाहते थे मगर अंसारी बंधुओं की पसंद आशा यादव पत्नी विजय यादव थीं। तब अंसारी बंधु बसपा में जा चुके थे। बावजूद समाजवादी पार्टी के उन दिग्गजों को अंसारी बंधुओं की पसंद का ख्याल करना पड़ा था और आशा यादव के नाम पर ही मुहर लगानी पड़ी थी। जाहिर था कि आशा यादव एकतरफा मुकाबले में चेयरमैन चुनी गईं जबकि उस उप चुनाव में भाजपा समाजवादी पार्टी के ही बागी धर्मदेव यादव को समर्थन दी थी।

अब जबकि भाजपा अगले पंचायत चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरने की तैयारी कर रही है। तब उस दशा में यह भी तय है कि उसका सीधा मुकाबला अंसारी बंधुओं से होगा।

यह भी पढ़ें–पंचायत चुनावः नए सिरे से आरक्षण!

 

 

 

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