कोरोना पीड़ित की आपबिती, ऐसे जीती जंग

गाजीपुर (राहुल पांडेय)। विश्वव्यापी महामारी कोरोना से हर कोई डरा है। बेचैन है पर ऐसा नहीं कि यह लाइलाज है। बस इसके लिए आत्मबल, आत्मसंयम, आत्मध्यान की जरूरत है और इन्हीं नुस्खों से शहर के ट्रैवेल एजेंट अनुज श्रीवास्तव ने कोरोना से जंग लड़ी। नतीजा वह अपने घर मुकम्मल दुरुस्त लौटे।
उत्सुकतावश बुधवार को इस प्रतिनिधि ने अनुज श्रीवास्तव से बात की। उन्होंने अपने उस विपत्तिकाल के अनुभव बेबाकी से शेयर किया। वह बताए- मुझे एक दिन अचानक बुखार हुआ। समान्य दवा लिया पर कुछ सुधार नहीं हुआ। तब मैं स्वत: बीएचयू पहुंचा और अपनी जांच कराया। करीब छह घंटे बाद मिली जांच रिपोर्ट पॉजिटीव आई। मैं तत्काल वहीं खुद को डॉक्टरों के हवाले कर दिया। उसके पूर्व मैंने सीएमओ गाजीपुर को सूचित करना जरूरी समझा। पॉजिटीव रिपोर्ट के बावजूद मैं अपना आत्मबल और धैर्य डगमगाने नहीं दिया। इसमें अपने शुभेच्छुओं, हमदर्दों ने भी हौसला बढ़ाया। एक सवाल पर वह बताए कि डॉक्टरों समेत वार्ड के सभी कर्मचारियों का व्यवहार अच्छा था। वह समय से परीक्षण करते। जरूरी दवा देते। सुबह नाश्ते में पंराठा मिलता। दोपहर में चावल, दाल, रोटी, सब्जी परोसी जाती। रात के भोजन में भी यही सब रहता। एक अन्य सवाल पर बताया कि खाली वक्त में वह अच्छे लेखकों की किताबें पढ़ते। आत्मीयजनों से फोन पर बात करते। हालांकि उसी दौरान एक वक्त ऐसा भी आया कि वह कुछ देर के लिए विचलित हुए। यह स्थिति तब आई जब बगल के बेड का वृद्ध पीड़ित की मौत हो गई। फिर वह खुद को किसी तरह संभाले। चिकित्साकर्मियों से पता चला कि वह अभागा वृद्ध अपनी मौत के लिए खुद जिम्मेदार था। संक्रमित होने के कई दिनों बाद तक परीक्षण नहीं कराया। वही बजह थी कि वायरस उसके फेफड़े को जकड़ चुके थे।
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आखिर उनसे चूक कहां हुई कि वह वायरस की जद में आए। अनुज ने बताया कि उनकी पत्नी टाइफाइड से पीड़ित थीं। उनका इलाज वाराणसी के हेरिटेज हॉस्पिटल में चल रहा था। उसी क्रम में आने जाने से वह संक्रमित हुए थे।
अनुज ने बताया कि उनको लेकर परिवार में पिता सहित कुल पांच लोग संक्रमित हुए लेकिन खुशनसीबी यह कि उनके अलावा परिवार के तीन लोग स्वस्थ होकर घर लौट चुके हैं। सबसे खुशी की बात यह कि उनके 87 वर्षीय पिता भी लगभग स्वस्थ हो चुके हैं। उम्मीद है कि वह भी एक-दो दिन में घर लौट आएंगे। बातचीत के अंत में अनुज ने कहा कि नि:संदेह यह महामारी है लेकिन यह तब तक जानलेवा नहीं होगी जब तक लोग इसको लेकर जागरूक रहेंगे। संक्रमित होने के बाद भी उनकी तरह वायरस से पूर्णत: मुक्त हुआ जा सकता है। बशर्ते शुरुआती लक्षण दिखते ही जांच कराई जाए और डॉक्टरों के संपर्क में आया जाए।
