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ऐसी चढ़ी चांप कि मुख्तार के करीबी प्रॉपर्टी डीलर चढ़ गए ‘साइकिल’ पर

गाजीपुर। डीएम कोर्ट में खुद की बिल्डिंग के विरुद्ध विचाराधीन मामले के फैसले का काउंट डाउन शुरू होते ही मुख्तार अंसारी के करीबी बहुचर्चित प्रॉपर्टी डीलर गणेशदत्त मिश्र ने गुरुवार को समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया।

वह पूरे जोश में समाजवादी पार्टी के कार्यालय समता भवन पहुंचे। जहां पार्टी के जिलाध्यक्ष रामधारी यादव ने उन्हें लाल टोपी पहनाकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई। गणेश दत्त मिश्र ने पार्टी की नीतियों में अपना विश्वास जताते हुए तन मन धन से पार्टी की सेवा करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर पार्टी जिलाध्यक्ष ने कहा कि गणेश दत्त मिश्र के पार्टी में आने से दल को मजबूती मिलेगी। कार्यक्रम में सुधीर यादव,निजामुद्दीन खां, अशोक बिंद, शिवशंकर यादव, अरुण कुमार श्रीवास्तव, दिनेश यादव, आत्मा यादव, गोपाल श्रीवास्तव, सिकंदर कनौजिया, कन्हैयालाल विश्वकर्मा, राजेश यादव, ताहिर सिद्धकी, विजय शंकर चौरसिया, संजय कनौजिया, रामाशीष यादव, आरिफ खान आदि थे।

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हालांकि गणेशदत्त मिश्र के आका मुख्तार अंसारी बसपा के विधायक हैं। बावजूद उन्होंने बसपा की सदस्यता क्यों ग्रहण की। इसका जवाब तो वही दे सकते हैं लेकिन लोग उसमें उनके राजनीतिक निहितार्थ जरूर ढूंढ रहे हैं। कुछ लोगों का मानना है कि शुद्ध कारोबारी दिमाग वाले गणेशदत्त मिश्र की अब भरसक कोशिश होगी कि अपने विरुद्ध चल रही कार्रवाई को वह सियासी रंग दें। कुछ नहीं तो समाजवादी उनके विरुद्ध प्रशासनिक कार्रवाई को अपने साथी पर सरकारी उत्पीड़न के रूप में बात उठाएंगे ही।

हालांकि मुख्तार अंसारी पर योगी सरकार की टेढ़ी नजर लगने के बाद से ही गणेशदत्त मिश्र रंग बदल चुके हैं। वह लोगों को बातचीत में यह बताना नहीं भूलते कि उनका मुख्तार अंसारी से अभी कोई वास्ता है और न कभी रहा है। वह मुख्तार के नाम-दाम से पहले से प्रॉपर्टी का धंधा कर रहे हैं जबकि उनको जानने वालों को पता है कि गणेशदत्त मिश्र का ठाठ-बाट और गाजीपुर से लगायत मऊ तक कारोबार तभी पसरा जब वह मुख्तार अंसारी से जुड़े।

यकीनन प्रशासन भी उनकी ‘कुंडली’ जानता है। इसकी पुष्टि पुलिस फाइल भी करती है। उसमें दर्ज मुख्तार अंसारी गैंग आईएस-191 में गणेशदत्त मिश्र सूचीबद्ध हैं। उनके दो लाइसेंसी असलहे पहले ही जब्त हो चुके हैं। अब प्रशासन की नजर शहर से बिल्कुल सटे रजदेपुर देहाती स्थित श्रीराम कॉलोनी में निर्माणाधीन मल्टीस्टोरी बिल्डिंग पर प्रशासन की नजर है। कागज में उसके मालिक उनके पिता शिवशंकर मिश्र हैं। आरोप है कि उसका निर्माण मास्टरप्लान की अनदेखी कर हो रहा है। एसडीएम सदर कोर्ट उसे ढहाने का आदेश दे चुकी है। उस आदेश को वह डीएम कोर्ट में चुनौती दिए हैं। जहां डीएम एमपी सिंह की अगुवाई वाली आठ सदस्यीय बोर्ड सुनवाई कर रहा है। वहां अगली तारीख 27 नवंबर पड़ी है। संभावना जताई जा रही है कि तब बोर्ड का फैसला भी आ जाएगा।

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