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अंसारी बंधुओं को ‘ढाहने’ का ईनाम! प्रभास कुमार को तरक्की के साथ लखनऊ सीडीओ का चार्ज

गाजीपुर। योगी सरकार युवा आईएएस अफसर प्रभास कुमार को तरक्की देते हुए बुधवार को उनका तबादला सीडीओ लखनऊ के पद पर कर दी। प्रभास कुमार गाजीपुर में ज्वांइट मजिस्ट्रेट के साथ ही सदर एसडीएम का पद संभाल रहे थे।

प्रशासनिक हलके में प्रभास कुमार की पदोन्नति वैसे तो सामान्य प्रकिया का हिस्सा मानी जा रही है लेकिन उन्हें सीधे लखनऊ का सीडीओ बनाया जाना जरूर हैरान कर रहा है। जाहिर है कि ज्यादातर आईएएस अफसरों को प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अहम तैनाती बराबर आकर्षित करती है। राजनीतिक हलके में प्रभास कुमार की इस नई तैनाती को अंसारी बंधुओं के होटल गजल और उनसे जुड़े सिद्दीकी परिवार के हॉस्पिटल शम्मे हुसैनी के ध्वस्तीकरण में योगी सरकार की कामयाबी से जोड़कर देखा जा रहा है।

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एसडीएम सदर कोर्ट के पीठासीन अधिकारी की हैसियत से प्रभास कुमार ने होटल गजल तथा हॉस्पिटल शम्मे हुसैनी को ध्वस्त करने का फैसला दिया। संभव हो कि योगी सरकार उनके इन दोनों फैसलों को मेरिट का फैसला मानी हो। कारण यह कि संबंधित पक्षों ने उन फैसलों को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी। बावजूद वहां वह फैसले खारिज नहीं हुए। अलबत्ता, यह जरूर कहा गया कि इन फैसलों को याचि सामान्य प्रक्रिया के तहत डीएम कोर्ट में ले जा सकते हैं। तब वही हुआ। डीएम कोर्ट में उन फैसलों को चुनौती दी गई और डीएम एमपी सिंह ने अपनी अगुवाई में आठ सदस्यीय बोर्ड गठित कर होटल गजल के मालिकानों और हॉस्पिटल शम्मे हुसैनी के प्रबंधन के पक्ष को इत्मिनान से सुना और अंत में निष्कर्ष पर पहुंच कर उनकी अपीलों को खारिज करते हुए प्रभास कुमार के फैसलों पर अपनी मुहर लगा दी। नतीजा होटल गजल और हॉस्पिटल शम्मे हुसैनी ढह गए।

मूलतः बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अतरदह के रहने वाले प्रभास कुमार वर्ष 2017 बैच के आईएएस हैं। अपने बैच में वह 30वां रैंक हासिल किए थे। स्नातक की डिग्री उन्होंने आईआईटी कानपुर से ली है। आईएएस बनने के बाद गाजीपुर में इनकी पोस्टिंग पिछले साल आठ अक्टूबर को हुई थी। उसके बाद उसी साल छह नवंबर को उनको एसडीएम सदर का चार्ज दिया गया।

प्रभास कुमार के गाजीपुर के कार्यकाल को देखा जाए तो उनके लिए खट्टा-मिठा कहा जा सकता है। जहां योगी सरकार की गंगा यात्रा की सफलता और महामारी कोविड-19 में उनकी भूमिका को सराहा गया वहीं गाजीपुर नगर पालिका के ईओ की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभालते वक्त उनकी चेयरमैन सरिता अग्रवाल से ठनी रही। पिछले माह वकीलों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला था। बावजूद खुद प्रभास कुमार गाजीपुर के अपने लगभग 13 माह के कार्यकाल से संतुष्ट हैं। एक खबरिया चैनल से बातचीत में प्रभास कुमार ने कहा कि निश्चित रूप से गाजीपुर का कार्यकाल उनके लिए यादगार रहेगा। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि एसडीएम और सडीओ की जिम्मेदारी अलग-अलग है। जाहिर है कि सीडीओ के रूप में उनका पूरा फोकस विकास कार्यों पर होगा। लखनऊ में अच्छी टीम है और उनकी पूरी कोशिश रहेगी कि शासन की मंशा के तहत विकास कार्यों को गति दी जाए।

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